जबावी- सुनता तो हूं।
सबाली- तो तांत्रिक के पास क्यों नहीं चले जाते।
जबावी-
सबाली-
जबावी-
सबाली-
जबावी-
सबाली-
जबावी-
सबाली-
दैवीय शक्ति किसी को भी मान लें उनकी वजह से हमारी जिन्दगी में कोई बदलाव न तो आया है और न आयेगा। बदलाव समाज सुधारकों के योगदान से आया है। वही मार्ग सही है। जिनका पेट भरा हुआ है वे भक्ति करें। जिनका पेट खाली है शिक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान, संसाधन, सहभागिता के लिए, उन्हें समाजसेवियों की जरूरत है अवतारों, भक्तों की नहीं।
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