Thursday, 26 October 2023

मेरा अंधविश्वास

घर में गजर, मक्का, ज्वार,  बाजरा की कोंईं बनतीं, कभी रोटी। कभी मेहमानों के लिए गेहूँ के आटे की व्यवस्था हो जाती तो बच्चों की भी लाग लग जाती।
किसी बच्चे को स्वेटर आ जाता तो महोत्सव मनता।
गप्पी, धपरा, गोई बच्चों दौलत थी।
जब बीमार पड़ते तो डॉक्टर को नहीं झाड़फूंक वाले को खोजा जाता या फिर टोने-टोटके।
गलसुआ होने पर मच्छूदाऊ के चबूतरे पर नमक की डली डाल आते।

वैचारिक रूप से मैं यहाँ हूँ  पर वह वहीं है।

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