किसी बच्चे को स्वेटर आ जाता तो महोत्सव मनता।
गप्पी, धपरा, गोई बच्चों दौलत थी।
जब बीमार पड़ते तो डॉक्टर को नहीं झाड़फूंक वाले को खोजा जाता या फिर टोने-टोटके।
गलसुआ होने पर मच्छूदाऊ के चबूतरे पर नमक की डली डाल आते।
वैचारिक रूप से मैं यहाँ हूँ पर वह वहीं है।
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