काल-कपोल:,
दुर्गा: दुर्गाधीशानां,
अत्तीव तृणम्।
काल का गाल,
सत्ताधीशों के किले,
उगती घास।
खण्डितमस्ति,
प्रेमपुररयन्तु,
काकोटरम्।
खण्डहर है,
चाहतों का शहर,
काक कोटर।
लवणाश्रव:,
लवणसागरोsपि,
गलितप्राण:।
खारे ये आंसू,
खारा सारा समुद्र,
गलते प्राण।
नृत्यति तृणं,
पददलितदुर्ग:
कालचक्रन्नु।
नाचत तृण
पद दलित दुर्ग
काल चक्र है।
राजा गतवान्,
रंकोsपि गतवान्नु,
काल: काशते।
राजा भी गया,
रंक भी चला गया,
काल न गया।
ऐ री! हिक्किका,
पियप्यारप्रतीति:,
तृप्तिमीहते।
ऐ री हिचकी,
पिय प्यार प्रतीति,
चाहत तृप्ति।
तेरी हिचकी
उलझन दिल की,
प्यास बुझा दे।
हिचकी नहीं,
मिस्काल है हमारा।
दिलबद्ध है,
तू सांसो का सहारा।
गौतम रामहेत
No comments:
Post a Comment