Saturday, 13 March 2021

काल-कपोल:

काल-कपोल:,
दुर्गा: दुर्गाधीशानां,
अत्तीव तृणम्।

काल का गाल,
सत्ताधीशों के किले,
उगती घास।

खण्डितमस्ति,
प्रेमपुररयन्तु,
काकोटरम्।

खण्डहर है,
चाहतों का शहर,
काक कोटर।

लवणाश्रव:,
लवणसागरोsपि,
गलितप्राण:।

खारे ये आंसू,
खारा सारा समुद्र,
गलते प्राण।

नृत्यति तृणं,
पददलितदुर्ग:
कालचक्रन्नु।

नाचत तृण
पद दलित दुर्ग
काल चक्र है।

राजा गतवान्,
रंकोsपि गतवान्नु,
काल: काशते।

राजा भी गया,
रंक भी चला गया,
काल न गया।

ऐ री! हिक्किका,
पियप्यारप्रतीति:,
तृप्तिमीहते।

ऐ री हिचकी,
पिय प्यार प्रतीति,
चाहत तृप्ति।

तेरी हिचकी
उलझन दिल की,
प्यास बुझा दे।

हिचकी नहीं,
मिस्काल है हमारा।
दिलबद्ध है,
तू सांसो का सहारा।

गौतम रामहेत

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