मैं तुम्हारे साथ बना रहूं,
तो तुम्हें मुझे तुम्हारी बराबरी का
बना रहने में मदद करनी होगी।
अगर तुम चाहते हो कि
मैं दुसरे की तरफ़ उम्मीद से न देखूं,
तो तुम्हें मेरी तरफ़ मैत्री से देखना होगा।
अगर तुम चाहते हो कि
मैं तुम्हारे परिजनों पर
अंगुली न उठाऊं
तो तुम्हें उन्हेंं समझाना होगा कि
मेरा मान उनका मान है।
अगर तुम चाहते हो कि
मैं उनकी फ़िक्र करूं
तो तुम्हें उन्हेंं समझाना होगा कि
वो भी फ़िक्र करना सीखें।
अगर तुम चाहते हो कि
मैं उनका साथ दूं
तो तुम्हें उन्हेंं समझाना होगा कि
वो मेरा साथ दें।
दोस्त दोस्ती में दोनों हाथ बढ़ाये जाते हैं
रूप, रंग, जाति, धर्म के भेद मिटा कर
गले मिल कर दिल मिलाये जाते हैं।
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