Saturday, 2 November 2019

चार लघु स्तंभ लेख - 3 ( रानी का लेख )( कौशांबी )

🌹चार लघु स्तंभ लेख - 3🌹
                    ( रानी का लेख )
                       ( कौशांबी )              

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मूल-लेख (लिप्यांतरण):-

१ देवानंपियषा वचनेना सवत महमता

२ वतविया ए हेता दुतियाये देवीये दाने

३ अंबा-वडिका वा आलमे व दान - गहे व ए वा पि अंने

४ कीछि गनीयति ताये देविये षे नानि हेवं . . . .
   . [ न ] . . . . (विनती)

५ दुतीयाये देविये ति तीवल - मातु कालुवाकिये

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अनुवाद -

देवानंपियषा वचनेना सवत महमता
(देवानंपिय के वचन से सभी महामातों से इस प्रकार कहना) -
जो भी दान दूसरी रानी यहॉ देती है, चाहे वह आम की बगीची हो या बाग या दान-गृह या अन्य कोई भी चीज, ये रानी के नाम ही लिखे जायें ।
यह दूसरी रानी, तीवर की माता, कारूवकी की प्रार्थना है ।

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टिप्पण :
कौसांबी स्तंभ पर लेखों का क्रम इस प्रकार है :
🔸1. वृहद-स्तंभ-लेख: 1 - 6,
🔸2. संघ-भेद करने से रोकता लेख,
🔸3. रानी कारूवकी का लेख ।
तीनों लेख एक ही स्तंभ पर क्रम से लिखे हैं ।

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