Saturday, 2 November 2019

चार लघु स्तंभ लेख - 4 ( सांची )

🌹चार लघु स्तंभ लेख - 4🌹
                           ( सांची )

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मूल-लेख (लिप्यांतरण):-

१ .................

२ . . . या भेतवे . . . ' . . .संघे . . . मगे कटे

३ भिखूनं च भिखुनीनं चा ति पुत - प

४ पोतिके चंदम सूरियिके ये संघं

५ भाखति भिखु वा भिखुनि वा ओदाता-

६ नि दुसानि सनंघापयितु अनावा 

७ ससि वासापेतविय इछा हि मे किं -

८ ति संघे समगे चिल - थितीके सिया ति

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अनुवाद -

. . . . . . .भेद नहीं हो सकता . . . भिक्खुओं और भिक्खुणियों का संघ , जब तक ( मेरे ) पुत्र पौत्र ( राज्य करेंगे ) सूर्य और चंद्र में प्रकाश होगा , समग्र रहेगा ।
जो भी भिक्खु या भिक्खुणी संघ का भेद करे उसे श्वेत वस्त्र पहनाकर विहार से बाहर अनावास में रखा जाय ।
मेरी क्या इच्छा हो सकती है ? कि -
संघ समग्र ( अखंड ) रहे और चिरस्थायी हो ।

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