🌹चार लघु स्तंभ लेख - 4🌹
( सांची )
🌹
मूल-लेख (लिप्यांतरण):-
☝
१ .................
☝
२ . . . या भेतवे . . . ' . . .संघे . . . मगे कटे
☝
३ भिखूनं च भिखुनीनं चा ति पुत - प
☝
४ पोतिके चंदम सूरियिके ये संघं
☝
५ भाखति भिखु वा भिखुनि वा ओदाता-
☝
६ नि दुसानि सनंघापयितु अनावा
☝
७ ससि वासापेतविय इछा हि मे किं -
☝
८ ति संघे समगे चिल - थितीके सिया ति
- - - -
🌹
अनुवाद -
☝
. . . . . . .भेद नहीं हो सकता . . . भिक्खुओं और भिक्खुणियों का संघ , जब तक ( मेरे ) पुत्र पौत्र ( राज्य करेंगे ) सूर्य और चंद्र में प्रकाश होगा , समग्र रहेगा ।
जो भी भिक्खु या भिक्खुणी संघ का भेद करे उसे श्वेत वस्त्र पहनाकर विहार से बाहर अनावास में रखा जाय ।
मेरी क्या इच्छा हो सकती है ? कि -
संघ समग्र ( अखंड ) रहे और चिरस्थायी हो ।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment