◆ हमने मान लिया
👉🏻 तुमने बोला *बन्दर ने उड़कर आग के विशाल गोले (सूर्य )को निगल लिया*
◆ हमने बोला हां ठीक है।
👉🏻 तुमने बोला *पृथ्वी गाय के सिंग पर टिकी है*
◆ हमने बोला हां ठीक है...|
👉🏻 तुमने बोला *पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है*
◆हमने बोला हां ठीक है...|
👉🏻 तुमने बोला, *ब्राम्हण ब्रम्हा के मुँह से निकला है, इसलिए श्रेष्ठ ह*
◆ हमने कहा ठीक है...।
👉🏻 तुमने बोला, *शुद्र ब्रम्हा के पैर से पैदा हुये है*
◆ हमने मान लिया...।
👉🏻 तुमनें बोला, *कौरव घी के डिब्बों से पैदा हो गए.*
◆ हमनें यह भी मान लिया।
👉🏻 तुमनें बोला, *सीताजी खेत में हल चलाते समय जमीन से निकल आयी*
◆ हमनें यह भी मान लिया...|
👉🏻 तुमने बोला, *हनुमान कान से पैदा हो गए*
◆ हमनें यह भी मान लिया...।
👉🏻 तुमने बोला, *श्रृंगी ऋषि हिरनी से पैदा हो गए*
◆ हमने यह भी मान लिया.
👉🏻 तुमने बोला, *मकरध्वज मछली से पैदा हुआ*
◆ मैंने यह भी मान लिया.
👉🏻 तुमनें बोला, *हिरण्याक्ष पृथ्वी को उठाकर समुद्र में घुस गया*
◆ हमने यह भी मान लिया.
👉🏻 तुमने बोला, *विष्णू ने वराह (सुवर)का अवतार धारण कर पृथ्वी को हिरण्याक्ष से छुड़ा लिया*
◆ हमने यह भी मान लिया.
👉🏻 *तुमने हत्यारे, लुटेरे, व्यभिचारी, धोखेबाज, बलात्कारी लोगो को भगवान-देवी-देवता बताया*
◆ हमने वह भी मान लिया.
👉🏻 *तुमने बंदरो से पत्थर तैराकर समुद्र में पूल बनवा दिया*
◆ हमने वह भी मान लिया.
👉🏻 *तुमने जिस शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी थी, उसी सांप को रस्सी बनाकर समुद्रमंथन करा दिया*
◆ हमने वह भी मान लिया.
👉🏻 *तुमने एक बन्दर से सोने (धातु) की लंका (पूरा नगर) को जलवा दिया*
◆ हमने वह भी मान लिया.
👉🏻 तुमने बोला, *ब्रम्हा के मुख से पैदा हुआ ब्राम्हण ही सर्वेसर्वा भूदेव है*
◆ हमने मान लिया.
👉🏻 तुमने बोला, *यह पूरी दुनियाँ एक ईश्वर चलाता है, जो खुद ब्राम्हणों के कहने पर चलता है*
◆ हमने फिर भी मान लिया.
👉🏻 तुमने बोला, *यहां के हर पत्थर में भगवान है*
◆ हम आजतक उसे भी मानते रहे.
👉🏻 तुमने बोला, *तुम ब्रम्हा के पैरों से पैदा हुये हो इसलिए तुम्हे कोई भी अधिकार नहीं हैं*
◆ मैंने वह भी मान लिया...।
★
*ऐसे और भी हजारों, ऐसे तथ्य है जिन्हें तुमने हमें मानने पर मजबूर किया और हमने चाहे, न चाहे मान लिया....।*
*आखिर क्यों ...?*
*क्योंकि, तुमने हमारे सोचने-समझने-जानने की ताकत (शिक्षा) तर्क, बुद्धि और विज्ञान छीनकर हमें अँधा बनाकर अपाहिज बना दिया था...।*
*पर आज हमारी आँखें खुल चूकी हैं*
*हमारे पास आज ताकत है, ''फुले, साहू, पेरियार, अम्बेडकरी विचारधारा कि और सिद्धांतों के कलम के ताकत की, जिसमे स्याही भरी है इन्ही महापुरुषों के तर्क, बुद्धि, विवेक और विज्ञान की...।*
*और आज हमारे पास ताकत है, महामानव बोधिसत्व बाबासाहब डाॅ. भीमराव अंबेडकर के संविधान की जिसमे अपार क्षमता है महाकारुणिक तथागत बुद्ध के प्राकृतिक विज्ञान की.*
इसलिये, आज मैं इन काल्पनिकताओं को मानने के बजाय जानना चाहता हूँं,
👉🏻 *_इन सभी का सच...!_*👈🏻
और, पूँछना चाहता हूं एक मात्र तार्किक सवाल....???
*''कि आजतक जो तुमने हमे बताया आखिर वह सब होता कैसे था...?''*
*''और, वह सब आज क्यों नही कर पा रहे हो...?...*
*तो फिर, करिए न मंत्र जाप...*
*और, दिखाइए न ऐसे चमत्कार जो बड़े-बड़े ग्रंथो में ठूँस-ठूँस कर भरे हुए है...।*
_*अब मूर्खता, पाखंड, अंधविश्वास के लिए यहां कोई भी जगह नहीं है...।*_
*क्योंकि, यह कोई रामराज, यमराज और धर्मराज का राज नही...,*
*_''बल्कि, अत्याधुनिक तर्क, बुद्धि, विवेक और विज्ञान से लैस वैज्ञानिक इक्कीसवी सदी के विज्ञान का राज है जय भीम नमो बुद्धाय💙💙
No comments:
Post a Comment