नव भोर की नव किरण
आलोकित रहे
आपके जीवन नभ में
गुंजन भौरों सी,
फुदकन चिड़ियों सी
गुंजित हो कानों में
नव वर्ष की अठखेलियां
व्यापें आपके आँगन में
मुदित रहें मित्र आपसे
धर्म कर्म के प्रांगण में
शहद घोले जीवनसाथी
हर पल तव जीवन में
वरद हस्त मां बाप के
थामें तुम्हें ज्यों पतंग गगन में
नव वर्ष नव रस भरे तव जीवन में ।
डाॅ रामहेत गौतम सहायक प्राध्यापक, संस्कृत विभाग, डाॅ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर मप्र ।
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