Wednesday, 30 January 2019

सर्द रात्रि का जागना ।

घुस रही है सर्दी धीरे से सदरी के अंदर,
बन्द कर रही है पलकें नींद होके अंदर,
शिथिल कमर मुरझा रही गरदन निरंतर,
मन्द होते कान आ रही जम्भाई निरंतर। 

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