घुस रही है सर्दी धीरे से सदरी के अंदर, बन्द कर रही है पलकें नींद होके अंदर, शिथिल कमर मुरझा रही गरदन निरंतर, मन्द होते कान आ रही जम्भाई निरंतर।
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