Saturday, 22 February 2020

स्वाभिमान

कोई नहीं करता यहाँ गौर,
देश का कोना-कोना नागौर।
वेद की बातें वेद में रह गयीं
समाज में बना न उनका ठौर।
जिल्लत ढोते, इंसान जहाँ,
है हैबानों का वह बस ठौर।
उठ! उठा हाथ, लड़ना है,
अब मार ठोकर उस ठौर।
तिल-तिल तड़प-तड़प,
सौ वर्ष का जीवन क्या?
स्वाभिमान से सर उठा,
मान सा कहाँ सुख और?
गौतम रामहेत ।

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