Saturday, 28 September 2019

भीमपुत्र की पीड़ा

फेसबुक से लिया गया

👉एक भीम पुत्र का पीड़ामय संदेश📖
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पशु को गोद खिलाने वाले,
मुझको छूने से बचते थे।
मेरी छाया पड जाने पर,
'गोमूत्र का छीँटा' लेते थे।।

              पथ पर पदचिन्ह न शेष रहेँ
              झाडू बाँध निकलना होता था ।
              धरती पर थूक न गिर जाये,
              हाथ सकोरा रखना होता था।।

जान हथेली पर रखकर,
मैँ गहरे कुआँ खोदता था।
चाहे प्यासा ही मर जाऊँ,
कूपजगत ना चढ सकता था।।

             मलमूत्र इकट्ठा करके मैँ,
             सिर पर ढोकर ले जाता था।
             फिकी हुई बासी रोटी,
             बदले मेँ उसके पाता था।।

मन्दिर मैँ खूब बनाता था,
जा सकता चौखट पार नहीँ ।
मूरत गढता मैँ ठोक-ठोक कर,
था पूजा का अधिकार नहीँ।

            अनचाहे भी यदि वेदपाठ,
            कहीँ कान मेरे सुन लेते थे।
           तो मुझे पकडकर कानोँ मेँ,
           पिघला सीसा भर देते थे।।

गर वेदशब्द निकला मुख से
तो जीभ कटानी पड जाती थी।
वेद मंत्र यदि याद किया,
तो जान गँवानी पड जाती थी ।।

          था बेशक मेरा मनुष्य रूप,
          जीवन बदतर था पशुओँ से ।
          खा ठोकर होकर अपमानित,
          मन को धोता था  अँसुओँ से रोज।

फुले पैरियार  ललई ओर साहू,
ने मुझे झिँझोड जगाया था ।
संविधान के निर्माता ने,
इक मार्ग नया दिखाया था।।

           उसी मार्ग पर मजबूती से,
          आगे को कदम बढाया है।
          होकर के शिक्षित और सजग,
          खोया निज गौरव पाया है।।

स्वाभिमान जग जाने से,
स्थिति बदलती जाती है।
मंजिल जो दूर दीखती थी,
लग रहा निकट अब आती है।

          दर से जो दूर भगाते थे,
          दर आकर वोट माँगते हैँ।
          छाया से परे भागते थे,
          वो आज मेरे चरण लागते हैँ।।

वो आज मुझसे पढने आते हैँ,
जो मुझे न पढने देते थे।
अब पानी लेकर रहैँ खडे,
तब कुआँ न चढने देते थे।।

         "बाबा" तेरे उपकारो को,
         मैँ कभी भुला ना पाऊँगा।
         "भीम" जो राह दिखायी है,
         उस पर ही बढता जाऊँगा।।
          ****** *सम्यक* ******

*जय भीम, जय भारत, जय संविधान*

Thursday, 26 September 2019

भावखेडी

भावखेडी, सिरसौद, शिवपुरी, अविनाश, रोशनी को हाकिम रामेश्वर
शौचालय रद्द,
खुले में शौच मुक्त भारत

राक्षस सर्वनाश,

Wednesday, 25 September 2019

प्रमीला

आगच्छति प्रमीला न
बाधते मां तवस्मृतिः।
आगच्छ त्वरितं देवि!
यक्षगतिं गतो न्वहम्।।

हा! नींद नहीं आ रही,
तेरी याद सता रही है।
आ जाओ जल्दी देवि!
यहाँ यक्ष-सी बेचैनी है।

शायरी

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एक   हसीन   लडकी
राजा  के  दरबार   में
डांस   कर  रही   थी...

( राजा   बहुत   बदसुरत   था )

लडकी   ने   राजा   से   एक
सवाल   की  इजाजत  मांगी
.
राजा   ने  कहा ,
                     " चलो  पुछो ."
.
लडकी   ने   कहा ,
   "जब    हुस्न   बंट   रहा   था
      तब   आप   कहां  थे..??
.
राजा   ने   गुस्सा   नही  किया
बल्कि
मुस्कुराते   हुवे   कहा
  ~  जब   तुम   हुस्न   की
       लाइन्   में   खडी
       हुस्न    ले   रही   थी , ~
.
~    तो   में
  किस्मत  की   लाइन  में  खडा
             किस्मत  ले  रहा  था
.
          और   आज 
     तुझ  जैसीे   हुस्न   वालीयां
      मेरी  गुलाम   की   तरह
       नाच   रही   है...........
.
इसलीय  शायर  खुब  कहते  है,
.
    " हुस्न   ना   मांग
      नसीब   मांग   ए   दोस्त ,

       हुस्न   वाले   तो
      अक्सर   नसीब   वालों  के
      गुलाम   हुआ   करते   है...

      " जो   भाग्य   में   है ,
        वह   भाग   कर  आएगा,

         जो   नहीं   है ,
         वह   आकर   भी
         भाग   जाएगा....!!!!!."

यहाँ   सब   कुछ   बिकता   है ,
दोस्तों  रहना  जरा  संभाल  के,

बेचने  वाले  हवा भी बेच देते है,
      गुब्बारों   में   डाल   के,

        सच   बिकता   है ,
        झूट   बिकता   है,
       बिकती   है   हर   कहानी,

       तीनों  लोक  में  फेला  है ,
       फिर   भी   बिकता   है
       बोतल  में  पानी ,

कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस   दिन  खिलोगे ,
टूट  कर  बिखर्र  जाओगे ,
जीना  है  तो
पत्थर   की   तरह   जियो ;
जिस   दिन   तराशे   गए ,
" भगवान " बन  जाओगे...!!!!🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर,

अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर,

अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

गिद्ध भी कहीं चले गए, लगता है उन्होंने देख लिया,

कि इंसान हमसे अच्छा नोंचता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर,

क्या मस्त तलवे चाटता है इंसान!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

कोई टोपी, तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है,

मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी,

जिसकी खातिर बाप किडनी बेच देता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें,

कली, फल, फूल, पेड़, पौधे सब माली बेच देता है!

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान,

अक्सर झोपड़ी पे लिखा होता है: "सुस्वागतम"

और महल वाले लिखते हैं:
"कुत्तों सॆ सावधान"

🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃🔃

Tuesday, 24 September 2019

ढोंगी

हथियार हाथों में थामकर
अध्यात्म की जो बात करता,
समझो यार गजब का वो ढोंगी है।
छप्पन भोग लगाये रोज,
फिर भी त्याग की जो बात करता,
समझो यार गजब का वो भोगी है।
प्राण-मान हरते-हरते,
सर्वहित की बातें करता,
समझो यार गजब का वो आतंकी है।
परपीड़ा बिन स्वहित कैसे,
स्वविवेक से समझ गया जो,
समझो यार गजब का वो योगी है।

Saturday, 21 September 2019

एकलव्य

उतर आता है कर्मों का लेखा
जब खड़ी दिखती है मौत सामने
चारों ओर पाण्डव थे
सामने धृष्टद्युम्न भी
और उसके हाथ में तलवार थी
कानों में छल का शंखनाद था
देहमात्र थी रथ पर
मन अतीत में था
बुद्धि विचार रही थी
जिस वंश के लिए मांगा था
अगूँठा मैंने स्वयंसिद्ध का
वही काटने को आतुर शीश मेरा
तलवार बन गया है वही तेगा
कटा था अँगूठा निषाद् युवराज का
या कटा था शिर शिष्यत्व के विश्वास का
होता गर एकलव्य यहाँ
गुरु के लिए मस्तक कटा देता
पर मार दिया था मैंनें शिष्य के विश्वास को
आज छलनी हो रहा विश्वास गुरु का।
यह सत्ता है बलि लेती है।
भीम द्रोही हो गया,
धर्मराज भी हाँ में हाँ मिला दिये
गाण्डीव अर्जुन का मौन है
हे एकलव्य तुमसे श्रेष्ठ कौन है?

गुरु शिष्य के पास था
धृष्टद्युम्न देह के पास था
तलवार ने शव को काट दिया।
अब एकलव्य न नीच था
न अर्जुन श्रेष्ठ था।

Wednesday, 18 September 2019

रश्मि

बाला के काले केश हैं या
घिर आयी  घटा सावन की,
भौंहों बीच बिन्दी विलसत,
या उदयाचल में बालसूर्य है।
झील सी गहरी आँखें हैं या
सागर प्रेमरस के भरे हुए हैं।
गोल कपोल मध्य नासिका है?
या सुमेरु रश्मियों से नहा रहा।
सुर्ख लाल ये ओष्ठ हैं क्या?
या फूट रही प्रभात की लालिमा
अजब छवि है यह रश्मि की
समझ नहीं आता कुंकुं मय मुख है
या मण्डल है सौन्दर्य के प्रभात का।

Tuesday, 17 September 2019

पेरियारामृतम्

ईश्वरो नास्ति

भो नास्ति ईश्वरो नास्ति
ईश्वरो इति निश्चयः।
येन सः ईश्वरः सृष्टः
सः मूर्खः इति निश्चयः।।1

प्रचारयति ईशं यः
सः दुष्टः इति निश्चयः।
यो पूजयति ईशं सः
वर्वरः इति निश्चयः।।2

नायकरः पिरीयारः
पृच्छति ईश्वरमिदम्।
तर्कबुद्धिः न यस्यास्ति
यो स्वीकरोति ईश्वरम्।।3
त्वं कायरोSसि किं यत् हि
अदृशो असि सर्वदा।
अत्र कदापि कस्यापि
न आगच्छसि अग्रेSपि।।4

दासप्रियोSसि किं त्वं नु पूजामिच्छसि अर्चनाम्।
किं त्वमसि बुभुक्षोSपि
दुग्धं मिष्ठान्नमिच्छसि।।5

किं मांसभक्षकोSसि त्वं
यदिच्छसि पशोःबलिम्।
किं स्वर्णवणिकोSसि त्वं
स्वर्णनिधिं करोति यत्।।6


त्वमसि व्यभिचारी किं
दासीदेवस्य इच्छसि।
रोधयसि बलात्कारान्न
निर्बलोSसि त्वं अपि।।7
यत् क्षेपयसि नालीषु
तैलं दुग्धं बहुधनम्।
कुपोषित-दरिद्र-देशे
मौनेन सहते इहा।।8
त्वमसि बधिरो किन्न
शृणोति रक्षयाचनाम्।
न पश्यत्यपराधं त्व
-
मन्धोsसि किं त्वमत्र हि।।9
आतंकीनां सखा किं त्वं
धर्मव्याजेन याचते।
निरदोषाणां जनाना
-
मधुना प्राणबलिं सदा।।10
रोचसे जनत्रासं त्वं
त्वमेवातंकनायकः।
शस्त्रान्धारयसि त्वं कि
तु त्रासार्थाय सर्वदा।।11
भ्रष्टो त्वमसि यत् किन्न ददौ
हरसि तेषां सर्वं नः।
श्रमिकार्जन्ति यत्नेन
तवकृते त्यजन्ति ते।।12
नास्तिकान् सृजसे अस्मा-
नविवेकी त्वमसि किम्।
येsस्वीकुर्वन्ति सत्तां वः
ते न सन्ति तव हस्ते।।13
पेरियारस्य वाचां तां
चिन्तयति शृणोति यः।
सः दारिद्र्येsपमाने च
न बद्ध्यते नु सर्वदा।।14

Thursday, 12 September 2019

करोमि लोकहितम्

बुद्धेन बोधं प्राप्तः भीमः भीमेनावसरः प्राप्तः मे गुरुः।
गुरुः मह्यं दत्तवान् ज्ञानं ज्ञानेन करोमि लोकहितम् ।।
रामहेत गौतम

Tuesday, 10 September 2019

स्वीकार हमें

सर्वदा मानवता के साथ रहे
सिर्फ बात यही स्वीकार हमें।
गर मानवभेद की बात करे,
तो वह वेद नहीं स्वीकार हमें।
जो जनहित की न बात करे,
वह देव भी नहीं स्वीकार हमें।
जो सर्वोत्कर्ष की न बात करे,
वो शास्त्र भी नहीं स्वीकार हमें।
जो पतित-पावन का भेद जने,
वह जन भी नहीं स्वीकार हमें।
जो नित मानववत् व्यवहार करे,
वही जन होगा सदा स्वीकार हमें।

रामहेत गौतम सहायक प्राध्यापक

Monday, 9 September 2019

आरक्षण विरोधी पर चोट

औक़ात नहीं थी, दो शब्द लिखने की,
वो संविधान (आरक्षण) मिटाने की बात करते हैं।

मज़दूरी कभी दी नहीं,
हमारे घर ज़लाने की बात करते हैं।
आरक्षण नहीं था तब क्यों,
मुग़लों से मार खाई थी।
कहाँ गई थी बहादुरी,
बेटियां उनसे ब्याही थी।
हजार साल देश ग़ुलाम रहा,
अब गरीबों पे तलवार,
चलानें की बात करते हैं।
दाहिर तो बामन था,
कासिम से क्यों हार गया।
तब तो नहीं था आरक्षण,
मुसलमान फिर क्यों मार गया।
महमूद गज़नी के सौ वीर,
सोमनाथ में कहर ढाया था।
आरक्षण वाला न था कोई,
क्यों मंदिर बच न पाया था।

समझ जिनमें खुद नहीं,
औरों को समझानें की बात करतें हैं।
आरक्षण नहीं था फौज़ में,
पृथ्वीराज क्यों हार गया,
मुँह देखते रहे बहादुर,
गौरी उसको मार गया।
बाबर ने हराया सांगा को,
तब त़ो नहीं आरक्षण था।
तंतर मंतर काम न आया,
भारी पड़ा एक-एक क्षण था।

आरक्षण नहीं था,
फिर क्यों अकबर से तुम डरते थे।
क्या मज़बूरी थी बतलाओं,
क्यों उसका हुक्का भरते थे।
कुलकरणी तो बामन था,
शिवाज़ी पे तलवार चलाई थी।

आरक्षण था उस मुसलिम का
शिवाज़ी की ज़ान बचाई थी।
आरक्षण जिम्मेदार नहीं,
रोज़ रोज़ पुल टूट रहे।
एकजुट होके संविधान विरोधी,
चुपचाप देश को लूट रहे।
बामनवाद सिखाता नफ़रत,
यही तो बड़ी बीमारी है।
आरक्षण आरक्षण चिल्लाना,
मनुवाद की बात सारी है।
यें काटतें हैं गलें हमारे,
हम तो सिर्फ, गले लगानें की बात करते हैं.....
औकात नहीं थी....

कवि अज्ञात

जय भीम.... जय भारत....

Sunday, 8 September 2019

मरु

जब पड़ी पायल की झंकार मरु में,
मनीषी मोहित मोहन रूप धरे हुए है।
मानो मरु की मरुता बीत गयी अब,
मादकता मदरस की मरु धरे हुए है।।

Friday, 6 September 2019

वर्षा

अत्र-तत्र-सर्वत्र सम्प्रति जलं वर्षति,
रिम-झिम रिम-झिम जलं वर्षति।
धम-धम धम-धम बालः कूर्दति,
छप-छप छप-छप लाली खेलति।
हा, हा, हा, ही, ही, ही द्वौ हसतः
मा धावय मा धावय माता वदति।
बालकं बालिकां च पुनर्पुनः वीक्ष्य
माता-पितरौ द्वारे तिष्ठौ द्वौ हसतः।

Wednesday, 4 September 2019

शिक्षकदिवसस्य महति शुभाशयाः

शास्ति सत्यं सदा या मां, वन्दामि तां सुशिक्षिकाम्।
जननिरस्ति ज्ञानस्य, नन्दामि तां सुशिक्षिकाम्।।

सुशिक्ष्यन्ते हि यैः छात्राः, जनने जीवने सदा।
ज्ञानस्य जनकाः सन्ति, वन्दामि तान् सुशिक्षकान्।।

रामहेत गौतमः

शिक्षकदिवसस्य महति शुभाशयाः आचार्ये! 💐👏

शिक्षक

प्रथम वंदन उस शिक्षक को जिसने ना भेद किया
वो बुद्धवीर महान् था जो जन-जन को निर्वेद किया।
रवि कवि को भी नमन् स्वयं सिद्धि का औजार दिया।
वंदन उस ज्योति राव को जो जन को जागृत किया,
सावित्री को को शतवार नमन् जननी का उद्धार किया,
शिवा साहू को नमन् स्वयं रक्षा का हथियार दिया।

Monday, 2 September 2019

पाखण्डियों को जबाब

नमस्कार भाई! उपर्युक्त ज्ञानोपशदेश से जिज्ञासा हुई (जिज्ञासु होना वेद सम्मत है)
गिनाये गये नाम दम्भ-द्वेष-पाखण्ड मुक्त हो सर्वमान्य हुए । आप भी हो सकते हैं। उन्होंने किसी न किसी जनविरोधी देशघाती कुरीति को तोड़ा है। आपको भी तोड़ना होगा ।
जातिवाद समाज व देश घातक है   श्रेष्ठता का मानक बन चुके वर्ण और जाति को खत्म किया जाना आवश्यक हो गया है। आओ वर्ण जाति को छोड़ केवल चारित्रिक गुणों के आधार पर रोटी-वेटी का व्यवहार करें।
ऐसा नहीं कर सकते तो उन महापुरुषों का नाम लेकर समाज को भ्रमित करना सभ्य सामाजिक का काम नहीं।
अगर ऐसा कर सकते हैं तो मैं और मेरे जैसे कई लोग आपके साथ होंगे।
करना यह है कि जो सम्मान सुरक्षा और समृद्धि में अति दयनीय है उस समाज से दश बच्चों का चयन करते हैं मानक आपके रहेंगे । उन बच्चों को धर्मश्री जैसी पाठशालाओं में प्रवेश दिलाते हैं। वहां समान व्यवहार सुनिश्चित कराकर प्रशिक्षण के वाद धर्मशास्त्रीय शिक्षा भी दिलायेंगे उसके बाद मन्दिर और मठों में, धार्मिक आयोजनों में व्यास की गद्दी पर बैठायेंगे
फिर होगा संगठित समाज संगठित देश।
आप भी एक महापुरुष हो जायेंगे।
अच्छा लगे तो और लोगों को पढ़ाओ और आगे आओ।
अच्छा न लगे तो भी अपने जैसे और लोगों को पढ़ाओ और भ्रमित होने से देश को बचाओ।
जय संविधान। जय भारत।

ब्राह्मण बिष बीज

*समस्त ब्राम्हणों से अनुरोध है कि  पूरा संदेश पढें और एक ब्राह्मण को भेजे*

*सभी ब्राह्मणों के लिए अति महत्वपूर्ण कर्म*

1- ईश्वर की आराधना एवं पूजा पाठ
2.जनेऊ धारण करना ।
3.,नित्य स्नान ।
4.गऊ पूजा। 
5.प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों एवं शास्त्रों का अनुशीलन  ।
6.सदाचार आचरण ।
7.मांसाहार और मदिरा से दूर रहें ।
8  अपने बच्चो को शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी दें।
9.धूम्र पान से दूर रहें ।
10.महिलाओ का सम्मान करें ।
11.झूठ का परित्याग करें ।
12.मीठी वाणी बोलें मृदुभाषी बनें  ।
13-सनातन हिंदू धर्म का प्रचार प्रसार करें ।
14- आरक्षण का पुरेजोर विरोध करें । 
15 - ब्राह्मणों का यथासम्भव सहयोग करें ।
16 - अपने ब्राह्मण जाति के प्रति विशेष स्नेह एवं आत्मीयता का भाव प्रदर्शित करें। 
17- ब्राह्मण लड़के/लड़कियाँ अन्तर्जातीय (अन्य जाति में) एवं विधर्मियों के साथ विवाह से बचें ।
18-  ब्राह्मण लड़के/लड़कियाँ अन्य जाति में प्रेम से बचें।
19- किसी दूसरी जाति या धर्म की बुराई न करें ।
20- अधिक से अधिक दोस्ती ब्राह्मणों से करने की कोशिश करें।
21- ब्राह्मण हमेशा गुटों में रहें चाहे कालेज हो,सरकारी/गैरसरकारी प्रतिष्ठान हो अथवा फिर अपनी सोसाइटी ।
22 - ब्राह्मण अपने समाज की कुरीति दहेज प्रथा से बचें।
23-सम्पन्न ब्राह्मण गरीब ब्राह्मणों की सहयता करें।
24.- डाक्टर एवं अधिवक्ता ब्राह्मण,गरीब ब्राह्मणों से फ़ीस ना लें या कम लें तथा ब्राह्मण शिक्षक गरीब ब्राह्मण बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करें ।
25-प्रशासनिक अधिकारी ब्राह्मणों को देखते ही उनकी हर संभव सहायता करें ।
26. हलो हाय की जगह जय श्री परशुराम अथवा हरि 🕉 अथवा जय श्री राम बोलें।

  सहमत हों तो ज्यादा से ज्यादा ब्राह्मणों को शेयर करें या एक ब्राह्मण को तो जरूर शेयर करें

ब्राह्मण हित और ब्राह्मण एकता पर काम करते रहैं ।

*जय श्री परशुराम*
            ब्राह्मणों की जय हो
             एक रहो,नेक रहो।

ब्राह्मण बिष बीज

ब्राह्मणों को कोसने वालों इतिहास को ठीक से पढ़ लो..।।
त्रेता युग में क्षत्रियों का शासन था !
महाभारत काल मे यादव क्षत्रियों का शासन था !

उसके बाद दलित-मौर्य और बौद्धो का राज था !

उसके बाद 600 साल मुसलमान बादशाह (अरबी लुटेरों) का राज था
फिर 300 साल अंग्रेज राज था, पिछले 67 वर्षों से अंबेडकर का संविधान राजकाज चला रहा है़।
लेकिन फिर भी सब पर अत्याचार ब्राहमणों द्वारा किया गया... अमेजिंग ।
मूर्खता की कोई सीमा नही!!
ब्राह्मणों को गाली देना कोसना उन्हें कर्मकांडी पाखंडी लालची भ्रष्ट ढोंगी जैसे विशेषणों के द्वारा अपमानित करना आजकल ट्रेंड में है।

कुछ लोग ब्राह्मणों को सबक सिखाना चाहते हैं, कुछ उन्हें मंदिरों से बाहर कर देना चाहते हैं.. वगैरह-वगैरह।

कुछ कथित रूप से पिछड़े लोगों को लगता है कि ब्राह्मणों की वजह से ही वो 'पिछड़े' रह गये, दलितों की अपनी दलीलें हैं, कभी-कभी अन्य जातियों के लोगों के श्रीमुख से भी इस तरह की बातें सुनने को मिल जाती हैं।

आमतौर से ये धारणा बनाई जा रही है कि ब्राह्मणों की वजह से समाज पिछड़ा रह गया, लोग अशिक्षित रह गये, समाज जातियों में बंट गया, देश में अंधविश्वासों को बढ़ावा मिला.. वगैरह-वगैरह।

आज, ऐसे सभी माननीयों को हृदय से धन्यवाद देते हुए मैं आपको जवाब दे रहा हूं...
इस वैधानिक चेतावनी के साथ कि मैं किसी प्रकार की जातीय श्रेष्ठता में विश्वास नहीं रखता।

लेकिन आप जान लीजिये- वो कौटिल्य जिसने संपूर्ण मगध साम्राज्य को संकटों से मुक्ति दिलाई,देश में जनहितैषी सरकार की
स्थापना कराई भारत की सीमाओं को ईरान तक पहुंचा दिया और कालजयी ग्रन्थ अर्थशास्त्र की रचना की (जिसे आज पूरी दुनिया पढ़ रही है।)वो कौटिल्य ब्राह्मण थे।

आदि शंकराचार्य जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को एकता के सूत्र में बांधने के प्रयास किये, 8वीं सदी में ही पूरे देश का भ्रमण किया, विभिन्न विचारधाराओं वाले तत्कालीन विद्वानों-मनीषियों से शास्त्रार्थ कर उन्हें हराया,
देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना कर हर हिंदू के लिए चार धाम की यात्रा का विधान किया, जिससे आप इस देश को समझ सकें। वो शंकराचार्य ब्राह्मण थे।

कर्नाटक के जिन लिंगायतों को कांग्रेसी हिंदूओं से अलग करना चाहतें हैं, उनके गुरु और लिंगायत के संस्थापक बसव भी ब्राह्मण थे।

भारत में सामाजिक-वैचारिक उत्थान, विभिन्न जातियों की समानता, छुआछूत-भेदभाव के खिलाफ समाज को एक करने वाले भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत रामानंद, (जो केवल कबीर के ही नहीं बल्कि संत रैदास के भी गुरु थे) ब्राह्मण थे।
आज दिल्ली में जिस भव्य अक्षरधाम मंदिर के दर्शन करके दलितों समेत सभी जातियों के लोग खुद को धन्य मानते हैं,उस मंदिर की स्थापना करने वाला स्वामीनारायण संप्रदाय है, जिसके जन घनश्याम पांडेय भी ब्राह्मण थे।

वक्त के अलग-अलग कालखंड में हिंदू समाज में व्याप्त हो चुकी बुराईयों को दूर करने के लिए 'आर्य समाज' व 'ब्रह्म समाज' के रूप में जो दो बड़े आंदोलन देश में खड़े हुए, इन दोनों के ही जनक क्रमश: स्वामी दयानंद सरस्वती व राजा राममोहन राय (जिन्होंने हमें सती प्रथा से मुक्ति दिलाई) ब्राह्मण थे।
भारत मे विधवा विवाह की शुरुआत करान वाले ईश्वरचंद्र विद्यासागर भी ब्राह्मण थे। इन सभी संतों ने जाति-पांति, छुआछूत,भेदभाव के खिलाफ समाज को जागरुक करने में अपना जीवन खपा दिया लेकिन समाज नहीं सुधरा।

भगवान श्रीराम की महिमा को 'रामचरित_मानस' के जरिये घर-घर में पहुंचाने वाले तुलसीदास और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की लहर पैदा करने वाले वल्लभाचार्य भी ब्राह्मण थे।
ये भी याद रखिये- मंदिरों में ब्राह्मणों का वर्चस्व था, जैसा कि आप लोग कहते हैं, फिर भी भारत में भगवान परशुराम (ब्राह्मण) के मंदिर सामान्यत: नहीं मिलते। ये है ब्राह्मणों की भावना।

विदेशी आधिपत्य के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह का बिगुल बजाने संन्यासियों में से अधिकांश लोग ब्राह्मण थे। अंग्रेजों की तोपों के सामने सीना तानने वाले मंगलक्षपांडेय,रानी लक्ष्मीबाई, अंग्रेज अफसरों के लिए दहशत का पर्याय बन चुके  चंद्रशेखर-आजाद, फांसी के फंदे पर झूलने वाले राजगुरु ,ये सभी ब्राह्मण थे।

वंदेमातरम जैसी कालजयी रचना से पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार पैदा करने वाले  बंकिमचंद्र चटर्जी, जन गण मन के रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर ब्राह्मण,देश के पहले आईएएस (तत्कालीन ICS) सत्येंद्रनाथ टौगोर भी ब्राह्मण। स्वतंत्रता आंदोलन के नायक गोपालकृष्ण गोखले (गांधी जी के गुरु), बाल गंगाधर तिलक राजगोपालाचारी ब्राह्मण। भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में श्री अटल बिहारी वाजपेयी भी ब्राह्मण।

नेहरु सरकार से त्यागपत्र देने वाले पहले मंत्री जिन्होंने पद की बजाय जनहित के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और कश्मीर के सवाल पर अपने प्राणों की आहुति दी,वो
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी ब्राह्मण।
बीजेपी के सबसे बड़े सिद्धांतकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय…
हिंदू समाज की एकता, जातिविहीन समाज की स्थापना और सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना के लिए खड़ा हुआ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव एक गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले पूज्य डॉ हेडगेवार जी ने डाली थी।
उन्होंने अपने खून का कतरा-कतरा हिंदूओं को ताकत देने और उन्हें एकसूत्र में पिरोने में खपा दिया, केवल ब्राह्मणों की चिंता नहीं की। संघ के दूसरे सरसंघचालक-डाॅ गोलवलकर जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को ताकत देने के लिए सारा जीवन समर्पित कर दिया- वो भी ब्राह्मण।

यही नहीं, देश में पहली कम्यूनिस्ट सरकार केरल में बनाने वाले नंबूदरीपाद समेत मार्क्सवादी आंदोलन के कई प्रमुख रणनीतिकार ब्राह्मण ही थे।
समकालीन नेताओं की बात करें तो तमिलनाडु में जयललिता ब्राह्मण थीं,
मायावती, जिन्होंने 'तिलक-तराजू और तलावर, इनको मारो जूते चार' जैसा अपमानजनक नारा बार-बार लगवाया, उन पर जब लखनऊ के गेस्ट हाउस में सपा के गुंडों ने जानलेवा हमला किया, उन्हें मारा-पीटा, उनके कपड़े फाड़े, और शायद उनकी हत्या करने वाले थे, उस समय जान पर खेलकर उन गुंडों से लड़ने वाले और मायावती को सुरक्षित वहां से निकालने वाले स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी ब्राह्मण थे।

जिस लता मंगेशकर की आवाज को ये देश सम्मोहित होकर सुनता रहा और जिस सचिन तेंदुलकर के हर शॉट पर प्रत्येक जाति का युवा ताली बजाकर खुश होता रहा - ये दोनों ही ब्राह्मण।

फिर भी, जिन्हें लगता है कि ब्राह्मण केवल मंदिर में घंटा बजाना जानता है- वो ये भी जान लें कि भारत के इतिहास का सबसे महान घुड़सवार योद्धा और सेनानायक- जो 20 साल के अपने राजनीतिक जीवन में कभी कोई युद्ध नहीं हारा, जिसने मुस्लिम शासकों के आंतक से कराहते देश में भगवा पताकाओं को चारों दिशाओं में लहरा दिया और जिसे बाजीराव-मस्तानी फिल्म में देखकर आपने भी तालियां ठोंकी होंगी, -वो बाजीराव बल्लाल भी ब्राह्मण था।

तो ब्राह्मणों को कोसने वालों इतिहास को ठीक से पढ़ लो..।।

सभी ब्राह्मण बन्धुओं से निवेदन करता हूं कि अपने पूर्वजों का इतिहास बच्चों को जरूर बताएं ।