नमस्कार भाई! उपर्युक्त ज्ञानोपशदेश से जिज्ञासा हुई (जिज्ञासु होना वेद सम्मत है)
गिनाये गये नाम दम्भ-द्वेष-पाखण्ड मुक्त हो सर्वमान्य हुए । आप भी हो सकते हैं। उन्होंने किसी न किसी जनविरोधी देशघाती कुरीति को तोड़ा है। आपको भी तोड़ना होगा ।
जातिवाद समाज व देश घातक है श्रेष्ठता का मानक बन चुके वर्ण और जाति को खत्म किया जाना आवश्यक हो गया है। आओ वर्ण जाति को छोड़ केवल चारित्रिक गुणों के आधार पर रोटी-वेटी का व्यवहार करें।
ऐसा नहीं कर सकते तो उन महापुरुषों का नाम लेकर समाज को भ्रमित करना सभ्य सामाजिक का काम नहीं।
अगर ऐसा कर सकते हैं तो मैं और मेरे जैसे कई लोग आपके साथ होंगे।
करना यह है कि जो सम्मान सुरक्षा और समृद्धि में अति दयनीय है उस समाज से दश बच्चों का चयन करते हैं मानक आपके रहेंगे । उन बच्चों को धर्मश्री जैसी पाठशालाओं में प्रवेश दिलाते हैं। वहां समान व्यवहार सुनिश्चित कराकर प्रशिक्षण के वाद धर्मशास्त्रीय शिक्षा भी दिलायेंगे उसके बाद मन्दिर और मठों में, धार्मिक आयोजनों में व्यास की गद्दी पर बैठायेंगे
फिर होगा संगठित समाज संगठित देश।
आप भी एक महापुरुष हो जायेंगे।
अच्छा लगे तो और लोगों को पढ़ाओ और आगे आओ।
अच्छा न लगे तो भी अपने जैसे और लोगों को पढ़ाओ और भ्रमित होने से देश को बचाओ।
जय संविधान। जय भारत।
Monday, 2 September 2019
पाखण्डियों को जबाब
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