हथियार हाथों में थामकर
अध्यात्म की जो बात करता,
समझो यार गजब का वो ढोंगी है।
छप्पन भोग लगाये रोज,
फिर भी त्याग की जो बात करता,
समझो यार गजब का वो भोगी है।
प्राण-मान हरते-हरते,
सर्वहित की बातें करता,
समझो यार गजब का वो आतंकी है।
परपीड़ा बिन स्वहित कैसे,
स्वविवेक से समझ गया जो,
समझो यार गजब का वो योगी है।
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