बाला के काले केश हैं या
घिर आयी घटा सावन की,
भौंहों बीच बिन्दी विलसत,
या उदयाचल में बालसूर्य है।
झील सी गहरी आँखें हैं या
सागर प्रेमरस के भरे हुए हैं।
गोल कपोल मध्य नासिका है?
या सुमेरु रश्मियों से नहा रहा।
सुर्ख लाल ये ओष्ठ हैं क्या?
या फूट रही प्रभात की लालिमा
अजब छवि है यह रश्मि की
समझ नहीं आता कुंकुं मय मुख है
या मण्डल है सौन्दर्य के प्रभात का।
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