TATHAGAT
Monday, 17 October 2022
देवाधीनं जगत्सर्वं
देवाधीनं जगत सर्वे मंत्राधीना च देवता
ते मंत्रा ब्राह्मणाधीना तस्मात् ब्राह्मण देवता।
अर्थ:- समस्त संसार देवता के अधीन है और देवता मंत्रों के अधीन हैं।सभी मंत्र ब्राह्मणों के अधीन हैं,इसलिए ब्राह्मण देवता है।
अर्थात् मंत्रों को जानने वाला ज्ञानी ब्राह्मण देवता के समान पूजनीय हैं।
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