अछूतों! उठो,
रामायण उठाओ
पढ़ो,
राम मंदिर जाओ,
मंदिर में बैठकर,
रामायण पाठ करो,
भक्तों को प्रसाद
और आशीर्वाद
दोनों दो।
और तुम लो चढ़ावा।
इसमें भक्तों का भविष्य
और तुम्हारा वर्तमान
दोनों सुधर सकते हैं।
स्थाल्यां क्षीरं नभे चन्द्रः, अमृतं पाति पूर्णिमा।
मृत्युं तरति प्राज्ञः ना, सर्वे अङ्गन्तु पूर्णिमाम्। ।rg
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