Tuesday, 4 October 2022

दशानन

दशानन 

जहाँ भी जाती है दुनिया 
वहाँ होता है उसका आनन।
जितनी दिशाएं हैं धरती कीं,
उतने हैं उसके आनन।

लोग मरे जा रहे हैं,
उसे मारने के चक्कर में।
पर वो हर वार जगाकर 
डाल देता है काम के चक्कर में।

कौए काँव-काँव करें या
उल्लू दुबकें।
गायें रम्भाएँ 
या चिड़ियाँ चहकें ।

दशानन है 
न अस्त होता है, 
न उगता है।

रमन्ते योगिनो यस्मिन्न सोsत्र शोमतेsद्य तु।
सशस्त्रं कुपितं तुण्डं रमणसाधकं कथम्?rg

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