Wednesday, 15 May 2019

धनवान श्रमचोर

वेदव्यास ने कहा कि बहुत बडा धनसंग्रह किया है
तो इसका मतलब है कि उसने दूसरों के श्रम का अपहरण किया है ।
वे स्पष्ट करते हैं कि वह आदमी कितने भी बहाने बनाये ,
यह निश्चित ही है कि दूसरों को पीडित किये बिना बहुत बडा संग्रह :
[पूंजी ] बन ही नहीं सकता >

ना छित्वा पर-मर्माणि नाकृत्वा कर्म दुष्करं ,
ना हत्वा मत्स्यघातीव प्राप्नोति महतीं श्रियम्‌।

[राजधर्म १४-१४- १३०- ३६]

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