Thursday, 30 May 2019

कालचक्र

बारह अरों का है काल चक्र
रहता है अनवरत गतिमान।
रंग भरे हर अरे में मौसम के
सृष्टि से संहृति तक संधान।

मनुष्य एक अंश है सृष्टि का
न वह मौसम है न कालचक्र
चूक सकता है निज मार्ग से
तदपि नित करता लक्षसंधान।

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