सुन देवी! देवपूजन क्यों जाति हो, तुरत ही तुम भ्रमजाल देव निकाल। सास-ससुर के मान, खान-पान का, नित ध्यान का रास्ता तू ले निकाल।। बड़ो के अनुभव और समाज में यश, घर की खुशी, पति भी होगा निहाल।।
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