Wednesday, 8 May 2019

ससुराल

सुन देवी! देवपूजन क्यों जाति हो,
तुरत ही तुम भ्रमजाल देव निकाल।
सास-ससुर के मान, खान-पान का,
नित ध्यान का रास्ता तू ले निकाल।।
बड़ो के अनुभव और समाज में यश,
घर की खुशी, पति भी होगा निहाल।।

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