भांति-भांति के
झंडे डंडे बैनर
घर वही है।
लोग बदले
मीनार न बदली
लोक वही है।
हवा बदली
पंछी बदल गये
पेड़ वही है।
पत्ते बदले
कलियाँ भी बदलीं
छांव वही है।
मेघ गरजे
बिज़ली भी कड़की
धरा वही है।
राही बदले
रथ भी हैं बदले
राह वही है।
रोटी बदली
वर्तन भी बदले
भूख वही है।
सब बदले
बाजार न बदला
भाव वही है।
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