Friday, 12 April 2019

भीम वाणी 7

वह काम करना ठीक नहीं जिसे करके पछताना पड़े भगवान गौतम बुद्ध पूना समझौते का उद्देश्य ऐसी विधि बनाना था जिससे अनुसूचित जातियां अपनी पसंद के प्रतिनिधि विधान मंडलों में भेज सकें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वृद्धों की सेवा करने वाले विनय शील व्यक्ति के यह चार गुण सदा बढ़ते ही रहते हैं आयु यश सुख एवं बल भगवान गौतम बुद्ध एक बार नारायण गुरु ने अपने शिष्यों को ललकार ते हुए कहा था हमें जाति विहीन समाज का निर्माण करना है बताओ इसके लिए कौन काम करेगा जाति विहीन समाज के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाओ सहयोग करो और इस सपने को साकार करने के लिए रात दिन एक कर दो संदर्भ नारायण गुरु सचित्र जीवनी सतनाम सिंह मेरा इस देश के बहिष्कृत लोगों से इतना ही कहना है कि वह कष्ट उठाकर भी शिक्षा ग्रहण करें अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दिलाएं सभी लोग ज्ञान प्राप्त करें इसी शिक्षा से वे अपने मानव अधिकारों की रक्षा कर सकेंगे अपने मान सम्मान की रक्षा कर सकेंगे जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्थान कर सकेंगे अंध विश्वास और अंधविश्वास से लड़ने की ताकत भी हमें शिक्षा और ज्ञान से ही प्राप्त हो सकती है नारायण गुरु जैसे कि पानी की एक एक बूंद से घड़ा भर जाता है वैसे ही धीरे थोड़ा थोड़ा भी उनका काफी संचय कर लेता है भगवान गौतम बुद्ध बुद्ध धर्म के सांस्कृतिक आंदोलन को कुनबा धूमिल करने के लिए ब्राह्मणों ने भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार बना डाला यह षड्यंत्र पागलपन के सिवाय कुछ नहीं बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर कठोर वचन मत बोलो ताकि दूसरे भी तुम्हें वैसा ना बोले भगवान गौतम बुद्ध जो कुछ भी दुख हमें होता है वह सब कृष्णा के कारण होता है भगवान गौतम बुद्ध मोर ग्रस्तों के लिए सब और अज्ञान का तम ही दम है अंधों के लिए सब और अंधकार ही अंधकार है भगवान गौतम बुद्ध जैसा अनुशासन आप दूसरों पर थोपना चाहते हैं वैसा ही अपने ऊपर भी करो भगवान गौतम बुद्ध चरित्र और मानवता के बगैर एक शिक्षित इंसान पशु जैसा है डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आप अपने नाथ स्वयं हैं दूसरा कौन आपका नाथ स्वामी हो सकता है भगवान गौतम बुद्ध जैसे कोई बच्चा पहली पहली बार चलने के प्रयास में गिर जाता है किंतु फिर आसानी से उठ खड़ा होता है और चलने लगता है ठीक उसी प्रकार व्यक्ति को तर्क बुद्धि के साथ सोचने में संकोच नहीं करना चाहिए पेरियार ई वी रामास्वामी स्वर्ण मुद्राओं की वर्षा होने पर भी अतृप्त मनुष्य को विषयों से तृप्ति नहीं होती भगवान गौतम बुद्ध ।

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