प्राचीन मेरे लाल किले की गिरवी है भरी जा रही नाजुक मेरे अंगों पर मार भी है कि जा रही आवाज उठा आवाज उठा आवाज उठा शिक्षा का भी व्यापार यहां देखो बढ़ाया जा रहा सबल सबल है हो रहा दुर्बल सताया जा रहा एकता भाव संघर्ष का भाव जगह एकता का भाव जगह संघर्ष का भाव जगह पशुओं की कद्र बढ़ रही इंसान यहां गौर हुआ मूली से बांसी कट रहे जग में मेरा उपहास हुआ इंसानियत की धजा उठा क्षमता का भाव जगह अब तो तुम जाग जाओ लोकतंत्र मेरा तार हुआ कब खून तेरा खोलेगा क्या जन्म तेरा बेकार हुआ आवाज उठा धजा उठा निकल सड़कों पर सौदों को जगा सदियां रोन दी गई में क्या फिर से रौंदी जाऊंगी स्वाभिमान मैंने पहचाना अब ना जिंदा रह पाऊंगी मेरी लाज बचा मेरा मान बचा मेरी पहचान बचा मेरा स्वाभिमान बचा जाग जाग जाग जाग मेरे वासी वोट वोट वोट का हथियार उठा दोस्तों को दूर भगा चारण भाट हैं जाग उठे सन चारों पर झूठे गुणगान गाते हैं निष्पक्षता अपनी भूल गए सत्ता को शीश झुकाते हैं ध्यान ना देना सत्ता भक्ति पर ध्यान ना देना व्यक्ति पूजा पर वोट कर चोट कर उठ निकल तू बैठ कर सोच कर समझकर वोट कर वोट कर वोट कर।
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