Wednesday, 3 April 2019

सपना किसान का

पाक को है राख चटायी, एलसीडी पर वो देख रहा है।
पंद्रह लाख कहाँ रखूं मैं, वो घर के कोने खोज रहा है।
किस मंडी में गल्ला बेचूं, बैठा कार में वह सोच रहा है।
कौन सी पगड़ी कौनसा कोट, मन-मन के छांट रहा है।
रेशम की साड़ी, सोने के गहने पत्नी को वो सोंप रहा है।
सूट टाई में बेटा भी देखो फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहा है।
स्कूल में बेटी अब्बल रही है मैडल गले में लटक रहा है।
सुगन्धित रेशमी चादर वाली शय्या पर वो लोट रहा है।
करवट ली ठूंठ चुभा ज्यों, नींद टूटी डीमों में लोट रहा है।
पत्नी हँसिया घिस रही और बेटा - बेटी गूंज बना रहे हैं।
फटी बनियान निहार वह बोला, व्यर्थ के सपने आ रहे हैं।

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