सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा।
तेरी धरती तुझसे पूछ रही, कब मेरा कर्ज चुकायेगा,
हर वासी मेरा बट रहा, तू कब गले उन्हें मिलायेगा,
बचन दे भारत मां को, उसका शीश नहीं झुकने देगा।
सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा।
लुट रही है अस्मत देखो, तुम चैन से कैसे सो जाओगे,
विक रहे हैं जमीर यहां, तुम खामोश कैसे रह जाओगे,
हां तू कसम उठा, तू कसम उठा तू देश नहीं मिटने देगा।
सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा।
लिंग जाति के भेद यहां, उनको तू ही मिटाएगा,
धर्म जाति की पहचान को, शीघ्र तू ही हटाएगा,
दंभ द्वेष की आंधी में, एकत्वदीप नहीं बुझने देगा।
सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा।
वह चाहते हैं जागे न कोई, बस भेद का कारोबार चले,
वह नशा धर्म का बांट रहे, यह देश यूँ ही बीमार चले,
पर जाग रहा है वासी मेरा, मनमानी न वो करने देगा।
सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा।
अब घड़ी फैसले की है आई, अब तू सपथ उठा,
नफरत से मुझे बचाना है, सब को याद दिलाना है,
न भटकेगा न अटकेगा, कुछ भी हो देश न बटने देगा।
सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा।
पीढ़ियों की किस्मत पर गिद्ध नजर लगाए बैठा हुआ,
हर इंसान है डरा-डरा यहाँ, दिल में खौफ बैठा हुआ,
तू निज देश की धरती पर अब, न नफरत पलने देगा।
सौगंध तुझे इस धरती की, तू देश नहीं झुकने देगा,
तू देश नहीं बटने देगा, तू देश नहीं मिटने देगा,
अब तू सपथ उठा, सपथ उठा, सपथ उठा ।।
No comments:
Post a Comment