मधूक-सी मादकता धरे और नव पल्लव सी सौम्यता,
ऐ मधुचोर भँवरे! उड़ायी कली कहाँ से तूने, ये बता।
मधूक-सी मादकता धरे और नव पल्लव सी सौम्यता,
ऐ मधुचोर भँवरे! उड़ायी कली कहाँ से तूने, ये बता।
खैर खुशी है तव खोज पूरी हुई अब मंडराना है मना,
दाम्पत्य सुख सदा स्रवित होगा, मित्र की शुभकामना।
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