Saturday, 29 May 2021

भौंकने वाले

भौंकने वाले सामना नहीं, पीछा करते हैं,
चलता हाथी कभी कुत्तों में नहीं उलझता।

ये लाल ये हरा ये गुलाबी

ये लाल, ये हरा, ये गुलाबी, न जाने कौन-कौन सा रंग लगा रहे हैं।
उनकी आंख में, कान में न जाने कहां-कहां जलन मचा रहे हैं।।

ये लाल, ये हरा, ये गुलाबी, न जाने कौन-कौन सा रंग लगाते हैं।
आंखों में, कानों में किसी को राहत देते, किसी को घबराते हैं।। rg

कथावाचक:

बंधहेतुप्रभूतेन धनेन किं करिष्यसि
इत्युपदेशक: पाति नाल्पं लक्षद्वयं धनम्।

तेरी मूंछ यों,गुंडों की में लगती,तीखी मिर्ची ज्यों।🙏

तेरी मूंछ यों,गुंडों की में लगती,तीखी मिर्ची ज्यों।🙏
क्या? ये मूंछ है,
या ये है तीखी मिर्ची
या शान् ध्वज है।

हे! भ्रम छोड़, भाग,

हे! भ्रम छोड़, 
भाग, तेरे पीछे हूं
ये जीत तेरी है।

जयमसत्येन,
पराजयं सत्येन,
परं हि वरम्।

झूठ से मिली जीत की अपेक्षा सच्चाई से मिली हार उत्तम है।

आ ढोल वाले!तेरी ही राह तकूंहिय धड़केमोरो पैर फरके।

आ ढोल वाले!
तेरी ही राह तकूं
हिय धड़के
मोरो पैर फरके।rg

लखन चाहोप्रेम-आंसू का झरालखो बदरा।



लखन चाहो
प्रेम-आंसू का झरा
लखो बदरा।

घर🏡 में गुड़हल🌺, खेत 🏞️में गुलाब🌹

घर🏡 में गुड़हल🌺, खेत 🏞️में गुलाब🌹,क्या गुल💐 खिला रहे हो जनाव।🙏

Friday, 28 May 2021

रमाई

   

ए विट्टू की आई! मैं रमाई बोल रही हूं,
तूं सिर्फ अपने बच्चों को देख,
पति पर पूरा हक़ जमा, बोल रही हूं।
समाजकार्य में बिगड़ जायेगा, 
लड़-झगड़ कर रोक, बोल रही हूं।
अपने पर ही खर्च कर,
पड़ौस की भूख मत देखना, बोल रही हूं।
कोई चीखता रहे मत निकालना,
परिवार को ले, खिड़कियां बंद कर सो जा, बोल रही हूं।
न तू रमा बनना, न उन्हें साहेब बनने देना,
रमा बनना, साहेब बनना आसान नहीं है, बोल रही हूं।
तूं मत बनना, तेरे बस की बात नहीं है, 
तू मत बनने देना, तेरे पति की औकात नहीं है, बोल रही हूं।
ऐ आई! कलेजे पर पत्थर रखना पड़ता है,
पति को समाज के साथ बांटना पड़ता है, बोल रही हूं।
तेरे बच्चे, तेरा पति तूं जान 
मैंने क्या खोया? क्या पाया? सब जानते हैं, 
रमाई हूं बोल रही हूं।

गौतम रामहेत।

Thursday, 27 May 2021

Radio

*घर पर रहकर अब आप ईयर फोन के बिना भी वर्ल्ड वाइड रेडियो सुन सकते हैं !!!! यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से है, जब आप लिंक पर क्लिक करते हैं, तो आप ग्लोब को घूमते हुए देख सकते हैं। हरे रंग की बिंदी होती हैं, जिस पर आप बस स्पर्श करते हैं, आप उस स्थान से लाइव रेडियो सुनना शुरू कर सकते हैं। अपने स्थानीय रेडियो की कोशिश करें !!!!*

*एकदम कमाल का ! ! ! !*

     *हमें ISRO पर गर्व है ! ! !*

          *http://radio.garden/live*

हां साहेब! आरक्षण का शिकार

हां साहेब! आरक्षण का शिकार होते हैं,
शम्बूक भी, एकलव्य भी, और कर्ण भी।
हां साहेब! आरक्षण के अधिकारी होते हैं,
विभीषण भी, अर्जुन भी, दुर्योधन भी। RG

Tuesday, 25 May 2021

मातादीन भंगी

मंगल को कारतूस अमंगल बतलाया था।
उस गोली को मातादीन ने सुलगाया था।।🙏

पर्व

पर्व पुण्यमय हैं उन्हें मिथकों से मुक्त रहने दो।

आग को सहेजना कला थी,
मनमानी में एक स्त्री जला दी।
होली तो रोटी का साधन थी,
सैतानों ने उसे चिता बता दी।।

हिंसक शब्द

विहिंसत्यखिलं ग्रन्थं एक: हिंसकशब्द: नु।

मारना नहीं
सुधारना ही तो है,
बौद्ध-संस्कृति।

उत्सव भी कोरोना की चपेट में

टीका उत्सव, मास्क उत्सव, सेनेटाइजर उत्सव।
हा! उत्सव भी कोरोना की चपेट में।

देख लो, कौन तुम्हें अपनी बराबरी में देखना चाहता है?🎉फुले 🎉

देख लो, कौन तुम्हें अपनी बराबरी में देखना चाहता है?
🎉फुले 🎉
यदि बांझता मुझमें निकली तो होगा दूसरा विवाह सावित्री का, 
दूसरा पति रहेगा इसी घर में सहपति बनकर,
 यदि हां तो दूसरे विवाह के लिए मैं तैयार हूं 
वो भी स्वास्थ्य परीक्षण में सावित्री में कमी निकले तब।
फुले।
आवक से ज्यादा खर्च जो करते। 
कर्जदार होते। 
जान का कांटा।।
🙏🙏 महामना फुले🙏🙏
फुले फूल है 
चहुदिश सुगन्ध 
दुर्गन्ध नाश।
मिट्टी में जो स्वाभिमान उग रहा है,
फुले का कतरा-कतरा उग रहा है।

त्रावनकोर
सहस्त्र धर्मसेना
एक नगेली।

मधुक मास

मदमस्त भू
मादकता का मठ
मधुक मास।

खेत की मैड़ तापै महुआ
भिनभिने, मधु, पक्षी,
महुआ नीचे महुआ
चौंसा, गिलहरी, गाय
बच्चे, महिला, डलिया
मन में भुना, लटा, डुगरी
शराब, सेका।
गुलेंदा, गुलगुच, गुली, धपरा, तेल, खर।
पत्ता पत्तल-दोना,
टहनी ईंधन,
पेड़ छाया, पटिया, मंडप।

किसने कुतर दिया है इसको कितना खोखला हो गया है, पथिक के काम न आ रहा,
पूनम का चंदा खो गया है।

कहां यह कुटिल चंदा?
कहां पथिक का काम?
इष्ट है पूनम का चंदा
आता जगत के काम।

प्रश्न

प्रश्न प्रश्न होता है जो भी जद में आता है उसे जवाब देना ही होता है। प्रश्न से भागने वाला भक्त हो सकता है तार्किक नहीं।

आ धमकता है

आ धमकता नहीं
मृग सा भटकता है।
ताली नहीं ठोकता
ध्यान खींचता है।
ढोलक नहीं पीटता
कान खोलता है।
गाता नहीं है वह
उलाहना देता है।
क्यों छीना रे निष्ठुर
हमसे रिश्तों का रस।
किन्नर नहीं नाचता
भूखा पेट नाचता है।
घर में, विद्यालय में
आफिस में सोचता है।
समाज में पैदा हुआ
समाज से जूझता है।
क्या मनुष्य नहीं हूं मैं ?
नर-नारी से पूछता है।

ताली थाली

ताली, थाली, दीपक, पुष्प वर्षा।
सड़क पर चप्पलें पटरी पर रोटियां,
मंदिर-मस्जिद, चुनाव, कुम्भ यात्राएं,
मास्क, सेनेटाइजर, दूरी, दवाएं।

अछूतोद्धार

पूना पैक्ट के बाद गांधी जी को व दुनिया को दिखाने के लिए सवर्ण गांधी वादी अछूतोद्धार आन्दोलन चलाते खूब दिखे, पर परिणाम आज तक न दे सके। आज भी कुछ गांधीवादी अंबेडकर वादियों से दूर ही रहते हैं।
अछूत नहीं, अछूत का चंदा प्यारा।
भीड़ में साझा, हक़ में अधम न्यारा।।

जा धरम-करम खौं नाज बेंच चंदा दिए हैं लोग,
ब ई धरम-करम में सामिल होबे अछूत हैं लोग।

पौधे के हिस्से का पानी

🌳💧पौधे के हिस्से का पानी वो पत्थर पे डाल आए,
जब तपिश बढ़ी पत्थर से सब जल जल जाए।☄️🗯️ गौतम रामहेत

चौचियाते पक्षी

अपने बीच से किसी के मर जाने पर कुछ देर चौंचियाते हैं पंछी, कुछ देर बाद फिर दाना चुगने में मस्त हो जाते हैं।

परमधाम वास दु:खद

परमधाम वास दु:खद है तो लोग परमधाम के चक्कर में वर्तमान क्यों वर्वाद कर देते हैं?

लायक

काम लेते वक्त लायक़ समझते हैं लोग, 
खुलके नाम लेवें ना लायक समझते हैं लोग।

शोषण व अपमान

शोषण व अपमान का आधार जाति है,
जाति का आधार ईश्वर है,
ईश्वर का आधार धर्मशास्त्र हैं,
शोषण को मिटाना है तो धर्मशास्त्र कुतरने होंगे, 
उन्हें कुतरना है तो उन्हें तर्क के चश्मे से पढ़ना होगा।

षड्रस पाकर गहरी डकार

षड्रस पाकर गहरी डकार लेते फिर नवरस में गोता लगाते हैं कुछ।
घूंट अपमान का लेकर मुक्तिरस-कूप-खनन में लग जाते हैं शेष सब।

थप्पड़ थी क्या

थप्पड़ थी क्या?
गूंजा है आसमान?
ज्यों घण्टा-नाद।

चार जने

चार जने, चार कौने 
साधें चारों ऊपर छत।
एक आलस ज्यों किया
भये पांव क्षत-विक्षत।।
RG

लोकतन्त्र के चार दरबाजे

लोकतन्त्र के चार दरबाजे
फूले-फले तई भीतर लोक। जगावनहार जब-जब बिके,
तन्त्र तहस-नहस सब लोक।

उनमत्त गज

उसी उन्मत्त गज ने कुचला है उन्हें जिसे उन्होंने मदिरा पिलाई थी।

न तु तज्जीवम्

न तु तज्जीवम्
कोरोना पदार्थं तु
त्वमेव जीवम्।

तत्त्वम्लमिव
फुफ्फुसं नस्यति तद्
रे! रक्षात्मेव।

न तस्य चित्तम्
कोरोना विषाण्वस्ति
दीपय चित्तम्।

अफवाहों के मसीहा

अफवाहों के मसीहा
कुछ तो अकल लगा लेते,
सीधी सी बात है
एक बार तो फौन लगा लेते।

गांव का दलित जीवन

गांव का दलित जीवन।

कहानीकार कहानी समझें,
गद्यकार समझें गद्य है यह,
छंद लेखकों समझो छंद है
यह वृत्त दलितों का फंद है।

सदा मनमानी सहो इनकी,
भीड़ में सामिल रहो इनकी,
जे लड़ें तब साथ रहो इनके,
आतंक में जीते रहो इनके।

चिन्तात्र रोटिकायै न,

चिन्तात्र रोटिकायै न,
 न वृत्यान्वेषणं भुवि।
हा!भारतदशाsस्यां तु 
विकास: जीवनं खलु।
RG

शिरसि दण्डभावेन चित्तचेतनचारुता

शिरसि दण्डभावेन चित्तचेतनचारुता।
स्वमानमर्दनं लक्ष्य
किं मया मानमर्दितम्?

मंदिर में अपमान

मन्दिर में अपमान, स्कूल में ज्ञान है।
मन्दिर मत जाओ, विद्यालय जाओ।

अदूरदृष्टिनेतृत्वे

अदूरदृष्टिनेतृत्वे
ग्रस्ता: ग्रहेषु मानवा:।
जीविका-धन-प्राणेभ्य:
हस्तौ प्रक्षालयन्ति ते।।

त्रिपिटक की हर बात बुद्ध वचन नहीं

त्रिपिटक साहित्य की हर बात बुद्ध वचन नहीं है।
बुद्धिसम्मत मानव हित कारी बात ही बुद्ध वचन है।
- भगवान बुद्ध और उनका धम्म।

एरण्ड इव

केचन जना एरण्ड इव वर्धन्ते नश्यन्ति च।

साहबों की हठ

साहबों की हठ हैं कि
गरीबों के मत्थे आईं।
ठेकेदारी से उपजी लाशें
गंगा के हिस्से आईं।

मौत के सौदागर

तीर्थों पर भी किसने मुर्दे सजाये हैं,
लगता है मौत के सौदागर आये हैं।

धरती

रक्त-रंजित धरती यह
पूजित रक्तपिपासु यहां
अट्टहास गूंज रहा है नित्
सिसक रही करुणा यहां।

सावधानी

सावधानी नु
साहाय्यं सर्वान्त्सर्वै:
न द्रोहो काॅंंस्कै:।

मां की गर्दन

मां की गर्दन
पितृ सत्ता पुजारी
दुर्गति नारी।

न शास्त्र

हाथों जिसके न शस्त्र है, न शास्त्र है।
शान्ति, अहिंसा और सद्भाव
के प्रतीक को प्रणाम।

व्यवहार खाता

व्यवहार एक ऐसा खाता है
जिसमें प्रेम हो या नफ़रत सूद सहित लौटते हैं।

कब्र में पाँव 
समझना न चाहे
सत्य को खल।

हथौड़ा छैनी
मांझी सा संकल्प
पर्वतजीत।

मारना नहीं
सुधारना ही तो है,
बौद्ध-संस्कृति।

मुसाफिर

हे मुसाफ़िर!
क्या सोता ही रहेगा?
पौ फट आई।

मैत्री तुलैव

तेन सह भविष्यामि
मया सह भविष्यति।
मैत्री तुलैव संजाता

अंधविश्वास का जाल

अंधविश्वास का जाल फैला कर मौज करता है दुष्ट मकड़ी की तरह, उस जाल का एक सिरा हमारे घर में है। पकड़ में नहीं आयेगा, सोता है केन्द्र में। बच नहीं सकते जब तक सिरा सुरक्षित रखेंगे। आस्था जागृत है उसके प्रति। चमत्कार की उम्मीद या डर पाल रक्खा है हमने, कुछ पुरखे भी छाति से चिपकाए बैठे हैं कुछ इस तरह कि जान निकलती है उसके बिना। एक उखाड़ना चाहता है तो चार भावनाओं की ढालों से ढक लेते हैं। अब उपाय कि बुद्धि सींचो अपनों की। हट जायेंगी ये ढालें और हाथ भी साथ होंगे, अंधविश्वास का खूंटा उखड़ेगा जरूर एक दिन। सुरक्षित होगा घर उस दुष्ट मकड़े से।

कफ़न चोर

छोड़ दीजिए साहब, कफनचोर हमारे वोटर हैं।

तर्क शून्यता

तर्क शून्यता
युद्ध महाभारत
सर्व शमन।

सागर

सागर सुहाता है कब? रीता
कतरा तक निचोड़ देती है सरिता।
रीता=खाली, सरिता=नदी

साहब का पसीना

साहब का पसीना मिट्टी में मिल जाता है।
किसान का पसीना मिट्टी से उग आता है।।

कुहरौ

घनौ कौहरौ
डेढ़ लैंड़ी कौ कौंड़ौ
दुबके रओ।

मोदी मुदित

मोदी मुदित
न तो नदी नुदित 
कांव कांव है।

मोदी = आमोदी (आनन्द लेने वाला)
मुदित= आनन्द ले रहा है
नुदित= तरंगित

बासीं

पहले मिलती बासीं 
अब न बिनकीं आशीं
चले गये, थे वे नाशी
आये जे सत्यानाशी।

सच कहा मानवशास्त्रियों नेडर से पैदा हुआ है ईश्वर।

सच कहा मानवशास्त्रियों ने
डर से पैदा हुआ है ईश्वर।

गंगा

लाशों से भरी देखी गंगा
एक घड़ियाल आंसू वहा गया।

Sunday, 23 May 2021

सोनिया

सोनियास्वेदसम्भूतं
भाजपा नाभिभाषताम्।
अनाथं कमलं मत्त्वा
कांग्रेसास्तं प्रतीक्षताम्।।
नरेश बत्रा

सोनिया के पसीने से पैदा हुए राहुल की बातों का भाजपा को अब संज्ञान नहीं लेना चाहिए, इसी प्रकार इंदिरा के तीसरे पुत्र क-मल-नाथ को कांग्रेस में अनाथ मानकर कोई उत्तर नहीं देना चाहिए। मौन रहकर अवसान की ओर अग्रसर कांग्रेस के अस्त की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

सो नियामक अत्रापि
राहुलतां तनोति नु।
कमलं नाथतेन भो
मत्तकुंजर! तिष्ठतु।। RG

Saturday, 22 May 2021

सवाल मत करना

सवाल मत करना
खेत बिक गया है इलाज में 
मालिक मर गया है अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

गहने बिक गये इलाज में
मां मर गई अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

घर बिक गया इलाज में
बेटा मर गया अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

कर्ज हो गया इलाज में
बेटी मर गई अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

हाथ न थाम सके इलाज में
पड़ौसी मर गया अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

साथ रह न सके इलाज में
अपने तड़पते रहे अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

संवेदनाएं मरीं दवा व्यापार में
मुनाफाखोर अस्पताल में
भक्ति कर सवाल मत करना।

Saturday, 15 May 2021

तुम धारा मैं पत्थर

तुम धारा मैं पत्थर 
रहेंगे साथ पथ पर।
मैं कठोर तट तुम्हारा,
तुम मेरी शीतल धारा।

आनंद फल

शोषण की प्रवृत्ति स्वाभाविक है क्योंकि मनुष्य भी पशु है। इससे बाहर निकल आना समझदारी है। समझदारी करुणा का आंगन है। इस आंगन में ही सामाजिकता पनपती है। सामाजिकता में ही लगते हैं आनन्द फल।
RG

उपनेत्रं

कश्चिज्जन उपनेत्रमिव न दृश्यते न दृश्यति तेन बिना।

अंधविश्वास का मकड़जाल

अंधविश्वास का जाल फैला कर मौज करता है दुष्ट मकड़ी की तरह, उस जाल का एक सिरा हमारे घर में है। पकड़ में नहीं आयेगा, सोता है केन्द्र में। बच नहीं सकते जब तक सिरा सुरक्षित रखेंगे। आस्था जागृत है उसके प्रति, चमत्कार की उम्मीद या डर पाल रक्खा है हमने, पुरखे भी छाति से चिपकाए बैठे हैं कुछ इस तरह कि जान निकलती है उसके बिना। एक उखाड़ना चाहता है तो चार भावनाओं की ढालों से ढक लेते हैं। अब उपाय कि बुद्धि सींचो अपनों की। हट जायेंगी ये ढालें और हाथ भी साथ होंगे, अंधविश्वास का खूंटा उखड़ेगा जरूर एक दिन। सुरक्षित होगा घर उस दुष्ट मकड़े से।

Friday, 14 May 2021

पौ फट आई।

हे मुसाफ़िर!
क्या सोता ही रहेगा?
पौ फट आई।
अरे पथिक!
किं शयनमेव स्यात्
भुव्युषागता।

Thursday, 13 May 2021

न द्रोहो काङ्कै:।

सावधानी नु
सहाय्यं सर्वान्त्सर्वै:
न द्रोहो काॅंस्कै:।

Wednesday, 12 May 2021

घूंघट

घूंघट
https://hi.vvikipedla.com/wiki/Ghoonghat

संस्कृत साहित्य में बलात्कार

मोक्ष्यध्वे स्वर्गबन्दीनां वेणीबन्धानदूषितान् शापयन्त्रितपौलस्त्यबलात्कारकचग्रहैः ॥ रघुवंश-10.47
विस्फारो ( धनुषः स्थानः ) पटहाडम्बरी ( समौ ) । 
प्रसभं ( तु ) बलात्कारो हठो ( ऽथ स्खलितं छलाम ॥ अमरकोश क्षत्र वर्ग.कांड 2 -108॥
वामन शिवराम आप्टे, संस्कृत हिन्दी कोश पृ 709

Sunday, 9 May 2021

NS Gajbhiye

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Progress in Crystal Growth and Characterization of Materials
Volume 52, Issues 1–2, March–June 2006, Pages 132-141
Synthesis and structural investigation of ɛ-Fe3−xNixN (0.0 ≤ x ≤ 0.8) nanoparticles
Author links open overlay panelN.S.GajbhiyeabSayanBhattacharyyaa
https://doi.org/10.1016/j.pcrysgrow.2006.03.018
Get rights and content
Abstract
ɛ-Fe3−xNixN (0.0 ≤ x ≤ 0.8) system is synthesized by precursor technique and nitridation of the Fe–Ni-oxide nanoparticles in NH3 (g). For x = 0.0–0.4, single phase ɛ-Fe3N hexagonal structure with space group P63/mmc is obtained, while for x = 0.5–0.8, a mixture of hexagonal ɛ-Fe3−xNixN and fcc γ′-Fe4−yNiyN phases are observed. Rietveld analysis is shown for the representative ɛ-Fe2.6Ni0.4N and ɛ-Fe2.2Ni0.8N compositions and it is observed that Ni substitutes the Fe atoms randomly and the metal atoms occupy [1/3, 2/3, 1/4] and [2/3, 1/3, 3/4] positions while the N atoms occupy [0, 0, 0] and [1/3, 2/3, 1/2] positions. Electron microscopy and atomic force microscopy confirm the nanostructured and spherical/platelet nature of the particles.

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Keywords
NanocrystallineNitrideCitrate precursorXRD-RietveldMorphology
N.S. Gajbhiye was born on May 10, 1952 in Akot, Bhandara District, Maharashtra, India. He obtained his B.Sc. (1973) and M.Sc. (1975) degrees from Nagpur University. After his Ph.D. degree from the Indian Institute of Science, Bangalore, India, in 1981, he joined as the faculty at the Indian Institute of Technology, Kanpur, India. Currently, he is a Professor of Chemistry and published more than 100 papers in National and International Journals, in the research area of Solid State Chemistry and Functional Nanostructure Materials. His research interests include advanced materials e.g. electroceramic materials (PTC thermistors, PZT, TiO2, ZrO2), hydrogels, Magnetic nanoparticles e.g. ferrites, binary/ternary transition metal nitrides, ferrofluids, superconductors, self-assembled monodispersed magnetic and noble metal (core-shell) nanoparticles and applications to forensic, nanocatalysis and nanoelectronic systems.

Dr. Gajbhiye is a Fellow of the National Academy of Sciences, Allahabad, Fellow of the World Innovation Foundation, U.K., DAAD Fellow: German Academy of Sciences. He is a member of the International Advisory Board for Mössbauer Research & Data Journal, USA, Member of the International Editorial Board, Journal of Nanotechnology and Applications, RIP-Delhi. He is life member of various organizations: Indian Thermal Analysis Society, Materials Society of India, Indian Association of Solid State Chemists and Allied Scientists, Indian Institute of Metals and Indian Council of Chemists.

Dr. Gajbhiye is a guest Professor at the Institute of Nanotechnology, Karlsruhe and at the DFG-Center for Functional Nanostructures, Karlsruhe (TU). Also, he is on the Board of referee for Journals: J. Mater. Sci., J. Solid State Chem., Ind. J. Chem., Mater. Res. Bull., Hyper. Interact., Phys. Stat. Sol. etc.

Sayan Bhattacharyya was born on January 10, 1975 in Kolkata, West Bengal, India. He received his B.Sc. and M.Sc. degrees from Calcutta University, Kolkata and Kalyani University, West Bengal in 1996 and 1998, respectively.

In 1999, he joined the Department of Chemistry, Indian Institute of Technology, Kanpur, India, where he was pursuing the Ph.D. degree as well as working on the electronic and magnetic properties of binary, pseudo-binary and ternary nanocomposite metal nitrides. He received his Ph.D. degree in 2006.

Thursday, 6 May 2021

ग्रस्ता: ग्रहेषु मानवा

अदूरदृष्टिनेतृत्वे
ग्रस्ता: ग्रहेषु मानवा:।
जीविका-धन-प्राणेभ्य:
हस्तौ प्रक्षालयन्ति ते।।

Tuesday, 4 May 2021

पठ तत्पुस्तकं मानी

पठ तत्पुस्तकं मानी!
दासभावो न येन भू। 
शासभावोsपि नश्येन्नु
त्वं मानवोsसि सत्यवाक्।

चिन्तात्र रोटिकाया न

चिन्तात्र रोटिकाया: न, न वृत्यान्वेषणं भुवि।
हा! भारतदशास्यां तु जीवनमेव विकास:।।
RG

Monday, 3 May 2021

गांव का दलित जीवन।

गांव का दलित जीवन।

कहानीकार कहानी समझें,
गद्यकार समझें गद्य है यह,
छंद लेखकों समझो छंद है
यह वृत्त दलितों का फंद है।

सदा मनमानी सहो इनकी,
भीड़ में सामिल रहो इनकी,
जे लड़ें तब साथ रहो इनके,
आतंकी चंगुल ढोओ इनके।

कैसे मिला दें ये तुम्हारी हां?
वैदिकों कभी ये दु:ख हरा है?
तुमसे ही सवाल क्यों करते हैं?
पीढ़ि किसके साथ गुजारते हैं?

100% दबाये बैठे हैं

कुछ खिसकता देख 
खिसियाते हैं वे लोग,
100% दबाये बैठे हैं 
धन, धरती जो लोग। 

मान पाना ही भाता
मान देना लजाता है।
साहब सुने गौरव है
साहब कहें लजाता है।
Rg