कहानीकार कहानी समझें,
गद्यकार समझें गद्य है यह,
छंद लेखकों समझो छंद है
यह वृत्त दलितों का फंद है।
सदा मनमानी सहो इनकी,
भीड़ में सामिल रहो इनकी,
जे लड़ें तब साथ रहो इनके,
आतंकी चंगुल ढोओ इनके।
कैसे मिला दें ये तुम्हारी हां?
वैदिकों कभी ये दु:ख हरा है?
तुमसे ही सवाल क्यों करते हैं?
पीढ़ि किसके साथ गुजारते हैं?
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