TATHAGAT
Wednesday, 12 May 2021
संस्कृत साहित्य में बलात्कार
मोक्ष्यध्वे स्वर्गबन्दीनां वेणीबन्धानदूषितान् शापयन्त्रितपौलस्त्यबलात्कारकचग्रहैः ॥ रघुवंश-10.47
विस्फारो ( धनुषः स्थानः ) पटहाडम्बरी ( समौ ) ।
प्रसभं ( तु ) बलात्कारो हठो ( ऽथ स्खलितं छलाम ॥ अमरकोश क्षत्र वर्ग.कांड 2 -108॥
वामन शिवराम आप्टे, संस्कृत हिन्दी कोश पृ 709
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