Saturday, 15 May 2021

आनंद फल

शोषण की प्रवृत्ति स्वाभाविक है क्योंकि मनुष्य भी पशु है। इससे बाहर निकल आना समझदारी है। समझदारी करुणा का आंगन है। इस आंगन में ही सामाजिकता पनपती है। सामाजिकता में ही लगते हैं आनन्द फल।
RG

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