Friday, 25 October 2019

वृहद-स्तंभ-लेख-2

🌹वृहद-स्तंभ-लेख-2🌹

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मूल-लेख (लिप्यांतरण) -

१ देवानंपिये पियदसि लाज

२ हेवं आहा धंमे साधू कियं चु धंमे ति अपासिनवे बहु कयाने

३ दया दाने सचे सोचये चखु - दाने पि मे बहुविधे दिंने दुपद -

४ चतुपदेसु पखि - वालिचलेसु विविधे मे अनुगहे कटे आ पान -

५ दाखिनाये अंनानि पि च मे बहूनि कयानानि कटानि एताये मे

६ अठाये इयं धंम - लिपि लिखापिता हेवं अनुपटिपजंतु चिलं -

७ थितिका च होतू ती ति ये च हेवं संपटिपजीसति से सुकटं कछती ति

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अनुवाद -

देवानंपिये पियदसि लाजा ने इस प्रकार कहा :
🎯 धम्म साधु (अच्छा) है ।
🔹पर धम्म क्या है? -
🔸अति भोग (लिप्ति) से मुक्ति,
🔸बहु-क या ने (बहुकल्याण करना),
🔸दया,
🔸दान,
🔸सत्य,
🔸धम्म है ।

🌻 मैंने लोगों को अनेक प्रकार से चखुदाने =
      सम्यक् दृष्टि
      (मांसचक्खु, दिब्बचक्खु, पञ्ञचक्खु)
     भी दी है, और
🔸द्विपदों, चतुष्पदों, पक्षियों, और जलचरों पर
     मैंने विविध अनुग्रह किये हैं -
🔸प्राण-दान भी ।
🔸इसी तरह मैंने बहुत से अच्छे काम भी किये
     हैं ।

🔸मैंने यह 🌹धम्म-लिपि🌹 इसीलिए
     लिखाया कि लोग इसका पालन करें और
     कि यह चिरकाल तक रहे ।
🔸और जो इसका पालन करेगा,
     वह एक अच्छा काम करेगा ।

           - द्वितीय-स्तंभ-लेख समाप्त -

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टिप्पण : -
इस लेख में,
धम्म को परिभाषित किया गया है ।

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