🌹वृहद-स्तंभ-लेख-2🌹
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मूल-लेख (लिप्यांतरण) -
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१ देवानंपिये पियदसि लाज
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२ हेवं आहा धंमे साधू कियं चु धंमे ति अपासिनवे बहु कयाने
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३ दया दाने सचे सोचये चखु - दाने पि मे बहुविधे दिंने दुपद -
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४ चतुपदेसु पखि - वालिचलेसु विविधे मे अनुगहे कटे आ पान -
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५ दाखिनाये अंनानि पि च मे बहूनि कयानानि कटानि एताये मे
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६ अठाये इयं धंम - लिपि लिखापिता हेवं अनुपटिपजंतु चिलं -
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७ थितिका च होतू ती ति ये च हेवं संपटिपजीसति से सुकटं कछती ति
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अनुवाद -
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देवानंपिये पियदसि लाजा ने इस प्रकार कहा :
🎯 धम्म साधु (अच्छा) है ।
🔹पर धम्म क्या है? -
🔸अति भोग (लिप्ति) से मुक्ति,
🔸बहु-क या ने (बहुकल्याण करना),
🔸दया,
🔸दान,
🔸सत्य,
🔸धम्म है ।
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🌻 मैंने लोगों को अनेक प्रकार से चखुदाने =
सम्यक् दृष्टि
(मांसचक्खु, दिब्बचक्खु, पञ्ञचक्खु)
भी दी है, और
🔸द्विपदों, चतुष्पदों, पक्षियों, और जलचरों पर
मैंने विविध अनुग्रह किये हैं -
🔸प्राण-दान भी ।
🔸इसी तरह मैंने बहुत से अच्छे काम भी किये
हैं ।
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🔸मैंने यह 🌹धम्म-लिपि🌹 इसीलिए
लिखाया कि लोग इसका पालन करें और
कि यह चिरकाल तक रहे ।
🔸और जो इसका पालन करेगा,
वह एक अच्छा काम करेगा ।
- द्वितीय-स्तंभ-लेख समाप्त -
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टिप्पण : -
इस लेख में,
धम्म को परिभाषित किया गया है ।
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