TATHAGAT
Thursday, 10 October 2019
शत्रू स्तः धर्मरीश्वरो
सांकृत्यायनवाचास्ति, सर्वसत्यं तु सर्वदा।
दीनहीनदरिद्रस्य, शत्रू स्तः धर्मरीश्वरो।।
रामहेतगौतमः
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