गुर्जरा- जिला, दतिया - मध्यप्रदेश
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मध्यप्रदेश के गुर्जरा नामक स्थान से 1924 ईस्वी मे सम्राट अशोक का एक शिलालेख प्राप्त हुआ था । जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है । सम्राट अशोक के अब तक के प्राप्त अभिलेखो मे या धर्मलिपियो मे केवल मासकी के अभिलेख मे ही अशोक का नाम देवान प्रिय की उपाधि के साथ मिला था ।
शेष मे सर्वत्र केवल देवानांप्रिय दर्शी की उपाधि का ही उल्लेख है नाम का नही ।
गुर्जरा से प्राप्त नए अभिलेख मे जो बेराठ , सहसराम , रूपनाथ , यरागुडी , राजुलमंडगिरी ओर ब्रहागिरि तथा मासिकी के अभिलेख की ही प्रति हे , अशोक का नाम उपाधि सहित दिया गया है । --
" दैवानां पियसपियदसिनो अशोक राजस "
इस प्रति के प्राप्त होने से इस अभिलेख के कई संशयग्रस्त पाठ स्पष्ट हो गये है । इसका मुख्य विषय है -- अशोक 256 दिन की धर्म यात्रा तथा बोध धर्म के प्रचार के लिऐ उसका अनथक प्रयास । जिस चट्टान पर यह लेख अंकित है वह " गुर्जरा " के निकट एक वन मे अवस्थित है ।
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