Thursday, 17 October 2019

सद्भाव

अनेक ईंटों को अकेला गारा एकजुट रखता है,
गारा रहता बीच जबतक भवन वे कहलाती है।
अनेक लोगों को अकेला सद्भाव जोड़े रखता है,
सद्भाव रहता बीच जबतक परिवार कहलाते हैं।
परिवार विभिन्न होते हैं मेलजोल जोड़े रखता है,
सुख-दुःख के भागी बनते पुरवासी वे कहलाते हैं।
वेश-भोजन-भाषा भिन्न भिलकर उत्स मनाते हैं,
देश ऐसा भारत मेरा बुद्ध की भूमि कहलाते हैं।
आओ सद्भाव से रहें हम सब, सच्चे इंसान बनें,
न किसी से मारा-पीटी, न किसी का अपमान करें।
आओ मिल के गान करें, आओ मिल के गान करें।।

ये बुद्ध की धरती युद्ध न चाहे, चाहे अमनपरस्ती।
ये बुद्ध की धरती.----------

रामहेतगौतम

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