ऋणं करोति यः नित्यं
दत्ते काले न निश्चिते।/ऋणमुक्तिं न इच्छति
अनर्थः तस्य दुश्वार्यः
वर्धति कर्करोगः यथा।।
जो हमेशा कर्ज करता है और समय पर पटाता नहीं है तो उसका संकट आसानी से दूर नहीं होता, कैंसर रोग की तरह बढती जाती हैं ।
रामहेतगौतमः
संपूरयति काले न
ऋणमुक्तिं न इच्छति
तेनमुक्तिं न सोचति।
ते
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