TATHAGAT
Thursday, 3 October 2019
किमन्ते अनुशंसया
कुवाक्येन हृतं भित्वा, किमन्ते अनुशंसया।
औषध्यां हि विषं दत्वा, किम्मुखे घृतसेवया।। दिलीपवशिष्ठः
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment