🌹वृहद-स्तंभ-लेख-5🌹
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मूल-लेख (लिप्यांतरण) -
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१ देवानंपिये पियदसि लाज हेवं आहा सडुवीसति - वस
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२ अभिसितेन मे इमानि जातानि अवधियानि कटानि सेयथा
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३ सुके सालिका अलुने चकवाके हंसे नंदीमुखे गेलाटे
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४ जतूका अंबा - कपीलिका दली अनठिक - मछे वेदवेयके
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५ गंगा - पुपुटके संकुज - मछे कफट-सयके
पंन-ससे सिमले
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६ संडके ओकपिंडे पलसते सेत - कपोते
गाम - कपोते
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७ सवे चतुपदे ये पटिभोगं नो एति न च खादियती अजका नानि
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८ एलका चा सूकली चा गभिनी व पायमीना व अवधिया पोतके
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९ पि च कानि आसंमासिके वधि - कुकुटे नो कटविये तुसे सजीवे
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१० नो झापेतविये दावे अनठाये वा विहिसाये वा नो झापेतविये
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११ जीवेन जीवे नो पुसितविये तीसु चातुंमासीसु तिसायं पुंनमासियं
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१२ तिंनि दिवसानि चावुदसं पंनहसं पटिपदाये धुवाये चा
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१३ अनुपोसथं मछे अवधिये नो पि विकेतविये एतानि येवा दिवसानि
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१४ नाग-वनसि केवट-भोगसि यानि अंनानि पि जीव - निकायानि
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१५ नो हंतवियानि अठमी - पखाये चावुदसाये पंनडसाये तिसाये
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१६ पुनावसुने तीसु चातुंमासीसु सुदिवसाये गोने नो नील-खितविये
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१७ अजके एडके सूकले ए वा पि अंने नीलखियति नो नीलखितविये
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१८ तिसाये पुनावसुने चातुंमासिये चातुमासि - पखाये अस्वमा गोनसा
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१९ लखने नो कटविये याव - सडुवीसति वस - अभिसितेन मे एताये
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२० अंतलिकाये पंनवीसति बंधन - मोखानि कटानि
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अनुवाद -
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देवानंपिये पियदसि लाजा ने इस प्रकार कहा :
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अभिषेक के छब्बीसवें वर्ष में मैंने इन जीवों को अवध्य घोषित किया , यथा ' शुक , सारिका , चमर घेंघ (लाल-पक्षी) , चक्रवाक , हंस , नन्दीमुख , गेलाट ( संभवतः सारस ) , चमगादड़ , पिपीलिका, रामानंदी कछुवा ,
झींगा मछली , एदवेयक , गंगापुपुटक ( एक मछली ) , संकुज-मत्स्य , कछुवा , साही मछली , गिलहरी , बारासिंगा हिरन , सांड , ओकपिंड , गैंडा , श्वेत - कपोत , ग्राम - कपोत , और अन्य चौपाये जिनका इस्तेमाल नहीं होता और जिन्हें खाया नहीं जाता ।
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वे बकरियां , भेड़ें या शूकरियां जो गाभिन हों या दूध दे रही हों या उनके बच्चे जो छह महीने से कम उम्र के हों ।
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मुर्गों को बधिया करना मना है । ऐसा तूस जलाने की मनाही है जिसमें, जीव हों ।
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व्यर्थ या ( प्राणियों की ) विहिंसा के लिए जंगल जलाने की मनाही है ।
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किसी जीव से किसी जीव का पोषण करने की मनाही है ।
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तीन चातुर्मासियों
(अर्थात् पूणिमाएं जो चार मास की ऋतुओं के पूर्व ( या बाद ) पड़ती हैं )
और तिष्या ( = पौष मास ) की पूर्णिमा पर तीन दिन अर्थात चौदस , पंचदसी पहले पक्ष की और दूसरे पक्ष की प्रतिपदा के दिन न तो मछलियों का वध किया जाएगा , न अन्य भोज्य के लिए बिक्री , यह ध्रव नियम है ।
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इन्हीं दिनों में नागवनों में और केवटभोगों में अन्य जीवों के वध की भी मनाही है ।
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प्रति पक्ष की अष्टमी ( तिथि ) चोदसी व अमावस्या , तिष्या , और पुनर्वसु के दिन ,
तीनों ऋतुओं की पूर्णिमा के दिन और सुदिवसों पर बैलों को , न बकरों को , मेढों को , सूअरों को या दूसरे जानवरों को , जिन्हें प्राय : बधिया करते हैं , बधिया करने की मनाही है ।
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तिष्या और पुनर्वसु के दिन , ऋतुओं की पूणिमाओं , और ऋतुओं की पूर्णिमामों से सबंध रखने वाले पक्षों में घोड़ों और बलों को दागने की मनाही है ।
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यावत् अभिषेक के छब्बीसवें वर्ष में अब तक मैंने पच्चीस बार जेल से रिहाइयां करायी हैं ।
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टिप्पण -
प्राणी-हिन्सा को प्रतिबंधित करता राजादेश ।
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