Friday, 25 October 2019

गिरनार

🌹वृहद-सिलालेख-14🌹
          (चौदह चट्टान लेख-14)
                    ( गिरनार )              

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मूल-लेख (लिप्यांतरण):-
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१ अयं धंम - लिपी देवानंप्रियेन प्रियदसिना राञा लेखापिता अस्ति एव
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२ संखितेन अस्ति मझमेन अस्ति विस्ततन  न च सर्व षर्वत घटितं
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३ महालके हि विजितं बहु च लिखितं लिखापयिसं चेव अस्ति च एत कं
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४ पुन पुन वुतं तस तस अथस माधुरताय किंति जनो तथा पटिपजेथ
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५ तत्र एकदा असमातं लिखितं अस देसं व सछाय कारनं व
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६ अलोचेत्पा लिपिकरापरधेन व

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अनुवाद -
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ये धम्म-लिपियां देवानंप्रियेन प्रियदसिना राञा ने संक्षेप में, मध्यम रूप में, कहीं विस्तार से लिखवायी हैं ।
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पुन: सभी बातें सर्वत्र नहीं दिखलायी गयी हैं (या उपयुक्त नहीं थी) मेरा विजित (राज्य) बहुत बड़ा है,  बहुत कुछ लिखाया जा चुका है और अभी मैं बहुत लिखाऊंगा । कहीं-कहीं विषय की रोचकता के कारण एक ही बात बार-बार कही गयी है ताकि लोग तदनुसार आचरण करें।
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कहीं-कहीं लेख अधूरा छूट गया होगा, इसका कारण देश विशेष है या सकारण है या फिर लिपिकार का अपराध है ।

        - चौदहवां-वृहद-सिलालेख समाप्त -

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              -वृहद-सिलालेख-समाप्त-

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