Thursday, 10 October 2019

नमन्त्युदीर्यन्ति

रामहेतगौतमः
खमारोढुं सदैवास्मै पक्षाविष्टौ नु पक्षिणे।
मानवास्तु गुरुत्वेन नमन्त्युदीरयन्ति ये।।

किरण आर्या-
उपर्युपरि व्रजितुं खं पक्षावश्यं च पक्षिणे।
मानवास्तु विनम्रेण यावन्नमन्त्युदीरते।।
डयितुं
   ऊंचा उड़ने के लिए पंखों की आवश्यकता तो पक्षी को होती है। मनुष्य तो विनम्रता से जितना झुकते हैं उतना ही ऊपर उठते जाते हैं।।
👏👏👏👏

No comments:

Post a Comment