Thursday, 31 October 2019

चार लघु स्तंभ लेख ( सारनाथ )

🌹चार लघु स्तंभ लेख - 1🌹
                     ( सारनाथ )

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मूल-लेख (लिप्यांतरण):-

१ देवा ' . . . (देवानंपिय)
२ एल् . . . . . .
३ पाट . . . . . .(पाटलिपुत्त) ये केनपि संघे भेतवे ए चुं खो

४ भिखू वा भिखुनि वा संघं भाखति से ओदातानि दुसानि संनंधापयिया आनावाससि

५ आवासयिये हेवं इयं सासने
भिखु - संघसि च भिखुनि संघसि च विनपयितवे

६ हेवं देवानंपिये आहा हेदिसा च इका लिपी तुफाकंतिकं हुवति संसलनसि निखिता

७ इकं च लिपिं हेदिसमेव उपासकानंतिकं निखिपाथ ते पि च उपासका अनुपोसथं यावु

८ एतमेव सासनं विस्वंसयितवे अनुपोसथं च धुवाये इकिके महामाते पोसथाये

९ याति एतमेव सासनं विस्वंसयितवे आजानितवे च आवते च तुफाकं आहाले

१० सवत विवासयाथ तुफे एतेन वियंजनेन हेमेव सवेसु कोट - विषवेसु एतेन

११ वियंजनेन विवासापयाथा

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अनुवाद -

देवानंपिये पियदसि लाजा हेवं आहा : . . . . . . पाट(लिपुत्र ) . . . . . . . . . . . .
कोई भी क्यों न हो -
वह संघ का भेद नहीं कर सकता ।
जो भी -
भिक्खु या भिक्खुणी ,
संघ का भेद करेगा, उसे श्वेत वस्त्र पहना कर विहार से बाहर अनावास - स्थान में रखा जाय । ☝
🔸इस प्रकार भिक्खुओं और भिक्खुणियों के संघों में यह आदेश विज्ञापित किया जाय ।

हेवं देवानंपिये आहा :
🎯 (देवानंपिय ने इस प्रकार कहा) :
🔸ऐसा एक लेख आपके पास विहार के संसरण में रख दिया जाये और
🔸इसकी दूसरी प्रति उपासकों के पास रखी जाये ।

🔸वे उपासक उपोसथ के दिन आकर इस आदेश से परिचित हो जायेंगे ।

🔹प्रति उपोसथ के दिन निश्चित रूप से हर महामात उपोसथ के लिए जाएगा ताकि वह इस आदेश से परिचित हो और इसे पूरी तरह समझे
🔹जहॉ तक आपका अधिकार-क्षेत्र है,
आप सर्वत्र इसी आशय का आदेश भिजवाएँगे।

🔹इसी प्रकार सभी कोट नगरों में और जिलों में इसी आशय का आदेश भेज दें ।

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टिप्पण :
संघ-भेद को प्रतिबंधित करता यह लेख -
संभवत: यह लेख पाटलिपुत्र के महामात्रों को संबोधित है,
जैसे की कौशांबी का लेख वहाँ के महामात्रों को है;
लेकिन यह लेख सारनाथ के स्तंभ पर भी लिखा गया है ।

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