सत्कर्माणि हितं सर्वं कुर्वन्ति सज्जनस्य सदा। सद्वचनानि कुर्वन्ति भ्रातृत्वं तस्य भारते।। सज्जन के सत्कर्म हमेशा उसका हित करते हैं । सद्वचन भारत में उसका बनाते हैं। अर्थात् उसका शत्रु कोई नहीं होता। रामहेतगौतमः
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