Friday, 25 October 2019

शाहबाज गढी 7

🌹वृहद-सिलालेख-07🌹
               (चौदह चट्टान लेख-07)
                    ( शाहबाजगढ़ी )
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मूल-लेख (लिप्यांतरण):-

१ देवनंप्रियो प्रियशि रज सवत्र इछति सव्रप्रषंद

२ वसेयु सवे हि ते सयमे भव - शुधि च इछंति

३ जनो चु उचवुच-छंदो उचवुच-रगो ते सव्रं व एक-देशं व

४ पि कषंति विपुले पि चु दने यस नस्ति सयम भव-शुधि

५ किट्रञत दृढ़ - भतित निचे पढम्

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अनुवाद :-

🎯देवनंप्रियो प्रियशि राजा चाहता है कि,
🔹सभी जगह
🔹सभी संप्रदायों
🔹के लोग निवास करें ।

🔸क्योंकि सभी संप्रदाय
🔸संयम और चित्त की शुद्धि चाहते हैं ।

🌷परन्तु लोगों की प्रवृत्ति,
🔸रूचि भिन्न-भिन्न होती है ।
🔸अत: वे पूरी तरह या
🔸आंशिक रूप में पालन करें ।

🔺किंतु जो बहुत अधिक दान नहीं कर
     सकता,
🔸उस में संयम और चित्त की शुद्धि,
🔸कृतज्ञता और
🔸दृढ़भक्तिता का होना नितांत आवश्यक है, 🔸श्रेयस्कर है ।

        - सातवॉ-वृहद-सिलालेख समाप्त -

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टिप्पण :-
सांप्रदायिक शौहार्द कायम करने के लिये महत्त्वपूर्ण राज-आज्ञा ।

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