Friday, 25 October 2019

तथागत बुद्ध के दस प्रमुख भिक्खु

🙏☸ मंगलमय सुप्रभात ☸🙏

🍀 *तथागत बुद्ध के दस प्रमुख भिक्खु* 🍀

*१. धम्म सेनापति -भिक्खु सारिपुत्र*

सारिपुत्र - इनका जन्म राजगीर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बुद्ध के उपदेशो से प्रभावित हो वे बौद्ध धम्म में प्रव्रजित हुए। इन्हे बुद्ध धम्म के सेनापति की उपाधि भी गई दी थी। यह धम्म के विशेषज्ञ थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन इनका महापरिनिर्वाण हुआ। ऐसा कहा जाता है की धम्म सेनापति अपनी माता को बुद्ध धम्म में प्रव्रजित करने अपने जन्म स्थान नालका गांव गए थे। वह अपनी माता को बुद्ध धम्म में प्रव्रजित करने में सफल हुए थे। उन्होंने बुद्ध के कुछ समय पहले  महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। उनके धातु अवशेष ले कर चुन्द जब बुद्ध के पास श्रावस्ती आए थे। मगध नरेश अजातशत्रु सारिपुत्र के पवित्र शरीर धातु ले गए और उन्होंने इस पर स्तूप बनवाया। बाद में सम्राट अशोक ने इसे साँची के स्तूप में रखवाया। वर्तमान में अक्तुबर महिने के हर आखरी रविवार को आप इनके दर्शन साँची में कर सकते है।

*२. भिक्खु महा मौद्गाल्यायन*

महा मौद्गल्यायन (ई पू 527 ). भगवान बुद्ध के ८० प्रधान शिष्यों में सारिपुत्र और महा मौद्गल्यायन का स्थान अग्रणी था। सारिपुत्र के परिनिर्वाण कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। उसके दो सप्ताह बाद ही महा मौद्गल्यायन का देहांत हुआ। कार्तिक अमावश्या की रात राजगीर में उनकी हत्या कर दी गई । उनके ये अवशेष  श्रीलंका पहुँच गए थे, जो अब वहाँ से लाकर पुन: साँची की उसी प्राचीन पहाड़ी पर प्रतिष्ठित कर दिए गए हैं। सम्राट अशोक ने इसे साँची के स्तूप में रखवाया आज अक्तुबर के हर आखरी रविवार को आप उनके धातु दर्शन कर सकते है।

*३. भिक्खु महाकश्यप*

कपिल नाम के ब्राह्मण और उनकी पत्नी सुमनदेवी के पुत्र के रूप में मगध के महातीर्थ या महापिट्ठा नामक गाँव में पैदा हुए थे। वे धनवान और प्रतिष्ठित माता पिता के संतान थे। अपने माता पिता कि मृत्यु के बाद कुछ समय तक उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अपने माता-पिता के धन-दौलत को सम्भाला, लेकिन कुछ समय बाद उन दोनों ने भिक्षु बनने का फैसला लिया। उन्होंने अपनी संपूर्ण दौलत भगवान बुद्ध के चरणों में रखकर भिक्षु बनना स्वीकार किया। भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के छह माह बाद बौद्ध संघ की जो पहली संगीति सप्तपर्णि गुहा में आयोजित की गई थी, उसके सभापति के रूप में महाकश्यप को ही चुना गया था। महाकश्यप बुद्ध के एकमात्र ऐसे भिक्खु थे, जिनके साथ भगवान बुद्ध ने चीवर का आदान-प्रदान किया था।

*४ . भिक्खु सुभूति*

यह अनाथपिंडक के छोटे भाई थे। सुभुती उस भिक्खु के रूप में प्रसिद्ध है जो उपहार के सबसे अधिक योग्य थे क्योंकि वे प्रेम - और करुणा को अपने अंदर समा चुके थे।

*५. भिक्खु पूर्ण*

महाराष्ट्र के प्रथम भिक्खु कहे जाने वाले "भिक्खु पूर्ण" का जन्म सुप्पारक (वर्तमान नाला सोपारा, मुंबई) नाम के बंदरगाह में 497 ईसवी में हुआ था। "भिक्खु पूर्ण" के पिता दूर दूर तक व्यापार के लिए जाया करते थे इस कारण भिक्खु पूर्ण को अपना पारंपरिक व्यवसाय करना पड़ा और एक बार वे श्रावस्ती भी गए और यहाँ भगवान बुद्ध के उपदेशो से प्रभावित हो कर बुद्ध धम्म में प्रव्रजित हो बौद्ध भिक्खु बन गए। और इस कारण बुद्ध धम्म महाराष्ट्र पंहुचा। केवल बुद्ध धम्म ही नहीं पंहुचा भगवान बुद्ध भी महाराष्ट्र आए थे।

आज यह सुप्पारक नाम का बंदरगाह सोपारा या नाला सोपारा नाम से जाना जाता है,जो मुम्बई के पास मौजूद है और मुम्बई से करीब ५८ किलोमीटर दूर है। सोपारा गाँव में सम्राट अशोक द्वारा ईसा पूर्व तीसरी सदी में निर्मित स्तूप आज अवशेष के रूप में है।

*६. भिक्खु महाकच्चान*

'महाकच्चान' का जन्म उज्जयिनी (उज्जैन) में हुआ था और वेदों का अध्ययन करते हुए एक शास्त्रीय ब्राह्मणिक शिक्षा प्राप्त की थी। महाकच्चान पालि भाषा के व्याकरण तथा बुद्ध भगवान के दस शिष्यों में से एक परम ऋद्धिमान शिष्य थे।

*७.  भिक्खु अनुरुद्ध*

भिक्खु अनुरुद्ध - यह गौतम बुद्ध के चचेरे भाई थे। अनुरुद्ध दिव्य-चक्षु सिद्धि के धनी थे। अनुरुद्ध वज्जी राज्य में एक सौ पंद्रह साल की उम्र में वेलुवगाँव नाम के स्थान पर एक बांस के पेड़ के नीचे परिनिर्वाण प्राप्त किया

*८. भिक्खु उपाली*

भिक्खु उपाली बुद्ध धम्म में  प्रव्रजित होने से पहले नाई का काम करते थे। वे शूद्र जाति से थे। वे विनयधर थे। बुद्ध ने जाति प्रथा को मानने से इंकार करते हुए उन्हें अपने प्रमुख शिष्यों में जगह दी और उन का स्थान कई ऐसे भिक्खुओं से ऊपर था जो राजकुमार हुआ करते थे। पहली धम्म संगति में इन्होने *"विनय पिटक"* के सभी सुत्तों का संकलन किया था।

*९.  भिक्खु राहुल*

भिक्खु राहुल तथागत के पुत्र थे। वे केवल ७ साल के थे तब तथागत ने उन्हें प्रव्रजित किया था। भिक्खु राहुल बुद्ध धम्म के पहले श्रामणेर भिक्खु थे।

*१०. भिक्खु आनंद*

भिक्खु आनंद बुद्ध के चेचेर भाई थे। वे अपनी तीव्र स्मृति, बहुश्रुतता तथा देशनाकुशलता के लिए सारे भिक्खु संघ में अग्रगण्य थे। वे २५ साल तक बुद्ध के उपस्थाक रहे। पहली धम्म संगिति में उनकी अध्यक्षता में *"सुत्त पिटक"* का गठन हुआ। वे १२० साल तक जीवित रहे।

कुछ और बुद्ध समकालीन भिक्खु और भिक्खुणियां थे :-
भदन्त गया काश्यप , ज्ञान कौण्डिन्य , अस्सजि , वप्प, महानाम , भद्रिय , यशोदेव , विमल , गवाम्पति , उरुवेल काश्यप , नदी काश्यप , कफिल , चुन्द, मैत्रायणीपुत्र , नन्दक , कप्पिन , रेवत , खदिरवनिक , महापारणिक , वक्कुल , नन्द  , चित्ता , चुन्द , देवदत्त ,सिवलि महाप्रजापती गौतमी , पिण्डोला भारद्वाज, पटाचारा,समावती, उप्पलवन्ना , सुंदरी, धम्मदिन्ना, वेलुकंदकिया, विशाखा , आम्रपाली , भद्दा  कपिलानी , यशाधरा।

*नमो तस्स अट्ठरिय पुग्गला महाभिक्खुसंघस्स।*
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नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏

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